अटल जयंती पर विशेष : कंकर-कंकर शंकर है, इसका बिंदु-बिंदु गंगाजल है…

”भारतीय जहां जाता है, वहां लक्ष्मी की साधना में लग जाता है. मगर इस देश में उगते ही ऐसा लगता है कि उसकी प्रतिभा कुंठित हो जाती है. भारत जमीन का टुकड़ा नहीं, जीता-जागता राष्ट्रपुरुष है. हिमालय इसका मस्तक है, गौरीशंकर शिखा है, कश्मीर किरीट है, पंजाब और बंगाल दो विशाल कंधे हैं. दिल्ली इसका दिल है. विन्ध्याचल कटि है, नर्मदा करधनी है. पूर्वी और पश्चिमी घाट दो विशाल जंघाएं हैं. कन्याकुमारी इसके चरण हैं, सागर इसके पग पखारता है. पावस के काले-काले मेघ इसके कुंतल केश हैं. चांद और सूरज इसकी आरती उतारते हैं, मलयानिल चंवर घुलता है. यह वन्दन की भूमि है, अभिनन्दन की भूमि है. यह तर्पण की भूमि है, यह अर्पण की भूमि है. इसका कंकर-कंकर शंकर है, इसका बिंदु-बिंदु गंगाजल है. हम जिएंगे तो इसके लिए, मरेंगे तो इसके लिए.”

कादंबिनी के पत्रकार संत समीर को तीस बरस जीना था, अब छियालीस पार कर लिए!

Sant Sameer : तो आज मेरी ज़िन्दगी ने भी उम्र के छियालीस पड़ाव पार कर लिए। यह भी कमाल ही है। एक वक़्त था कि डॉक्टरी अनुमानों के हिसाब से मुझे तीस बरस के आसपास की ज़िन्दगी जीनी थी, पर ये अतिरिक्त सोलह बरस किसी तोहफ़े से कहाँ कम हैं! मेरी कम्पनी ने दिया हो न दिया हो, लेकिन ज़िन्दगी ने भरपूर बोनस दिया है। कहने वाले कह सकते हैं, तक़दीर का फ़साना। क़िस्मत में जीना बदा हो तो डॉक्टरों के फ़तवे किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकते; लेकिन दोस्तो! ज्योतिष के पण्डितों ने जो कहा, मैंने अकसर उसका उल्टा किया।

दिल्ली में लोग डेंगू से मर रहे हैं, बिंदेश्वरी पाठक और उनके कर्मचारी मोदी के बर्थडे डांस में जुटे हैं!

नई दिल्ली : एमसीडी ने एक जमाने में सुलभ शौचालय वाले बिंदेश्वरी पाठक को ब्लैकलिस्ट कर दिया था. भाजपा के ही एक नेता की शिकायत के बाद बिंदेश्वरी पाठक ब्लैकलिस्ट किए गए थे. अब भाजपा के ही जमाने में सुलभ शौचालय वाले पाठक जी ब्लैकलिस्ट से न सिर्फ बाहर आ चुके हैं बल्कि एमसीडी द्वारा संचालित किए जाने वाले अस्पतालों की हाउसकीपिंग का काम भी हथिया चुके हैं.

अजमेर से निकलने वाले दैनिक भास्कर को क्या हो गया है? जरा इस न्यूज को तो देखिए

: मंत्री के सादगी से मनाए जन्मदिन में दो हजार का जीमण? : अजमेर से निकलने वाले दैनिक भास्कर को क्या हो गया है? खबर बनाते, उसका सम्पादन करते, पेज जांचते समय कोई यह देखने वाला नहीं है कि खबर क्या जा रही है। एक-दो साल पुरानी खबरों को ज्यों की त्यों छापने से भी जब पेट नहीं भरा तो अब भास्कर ने सारे शहर की आंखों में धूल झोंकने का काम शुरू कर दिया है। रविवार, 11 जनवरी 2015 का दिन था। वसुंधरा सरकार के एक मंत्री का जन्मदिन। मंत्री ने एक दिन पहले सारे अखबारों को प्रेस नोट भिजवा दिया, मंत्री जी सादगी से मनाएंगे जन्मदिन। पत्रकारों को मंत्री ने खुद फोन किया। गद्गद पत्रकार नतमस्तक हो गए। अब जरा मंत्री की सादगी पर गौर कीजिए।

25 नवम्बर नजीर बनारसी की जंयती पर : …हम अपना घर न जलाते तो क्या करते?

हदों-सरहदों की घेराबन्दी से परे कविता होती है, या यूं कहे आपस की दूरियों को पाटने, दिवारों को गिराने का काम कविता ही करती है। शायर नजीर बनारसी अपनी गजलों, कविताओं के जरिए इसी काम को अंजाम देते रहे है। एक मुकम्मल इंसान और इंसानियत को गढ़ने का काम करने वाली नजीर को इस बात से बेहद रंज था कि…

मुलायम के जन्मदिन जश्न के लिए स्कूली बच्चों को घंटों खड़ा रखा, बाल अधिकार आयोग को शिकायत

रामपुर में मुलायम सिंह के जन्मदिन समारोह के लिए स्कूलों की बंदी और बच्चों को मुलायम सिंह के नारे लगाने के लिए घंटों खड़ा रखने को बाल अधिकारों का खुला उल्लंघन बताते हुए सामाजिक कार्यकर्त्ता डॉ नूतन ठाकुर ने इस सम्बन्ध में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को शिकायत भेजी है. शिकायत संख्या 201400001016 पर दर्ज इस ऑनलाइन शिकायत में कहा गया है कि एक नेता, जिन्हें ये बच्चे संभवतः जानते तक नही थे, के लिए नारे लगाने को इन बच्चों को घंटों खड़ा रखना आईपीसी की धारा 342 में अपराध है.