उत्तराखण्ड क्रिकेट के दिन कब बहुरेंगे

-तारकेश्वर मिश्र-
दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड में शुमार भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई के लिये सुप्रीम कोर्ट का आदेश कोई मायने नहीं रखता। सर्वोच्च न्यायालय भले ही बीसीसीआई को आदेश या निर्देश देता रहे लेकिन बीसीसीआई के कर्ताधर्ता अपनी सुविधा और मर्जी के हिसाब से ही हिलते-डुलते हैं। असल में बीसीसीआई का दुस्साहस इतना बढ़ चुका है कि वो देश की शीर्ष अदालत को भी गुमराह करने की हिमाकत करने से परहेज नहीं करता है। ऐसा ही मामला उत्तराखण्ड राज्य क्रिकेट को मान्यता देने से जुड़ा है।

विराट कोहली देश के हीरो तो पीआर श्रीजेश क्यों नहीं?

Khushdeep Sehgal : शुक्रवार रात को अधिकतर भारतीय सो रहे थे, उस वक्त भारतीय हॉकी टीम दुनिया की सबसे श्रेष्ठ टीम ऑस्ट्रेलिया से लंदन में चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल में लोहा ले रही थी…चैंपियंस ट्रॉफी के 38 साल के इतिहास में ये पहली बार हुआ कि भारत ने फाइनल में जगह बनाई…दोनों हॉफ में कोई टीम गोल नहीं कर सकी…इस दौरान ऑस्ट्रेलिया को कई पेनल्टी कॉर्नर के साथ पेनल्टी स्ट्रोक भी मिले लेकिन भारतीय गोलकीपर श्रीजेश ने उनकी एक नहीं चलने दी…आखिरकार पेनल्टी शूटआउट में ऑस्ट्रेलिया भारत को 3-1 से हराकर 14वीं बार इस टूर्नामेंट का चैंपियन बना…भारत ने पहली बार चैंपियंस ट्रॉफी का सिल्वर मेडल अपने नाम किया…अभी तक इस टूर्नामेंट में भारत की सबसे बड़ी उपलब्धि 1982 में रही थी जब उसने ब्रॉन्ज़ मेडल जीता था…

पेड न्यूज : दिल्ली क्रिकेट का ‘काला’ कैरेक्टर और बिकाऊ मीडिया की एक और करतूत

दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) की खेल समिति के चुनाव जल्द होने वाले हैं। तीस हज़ारी कोर्ट ने दो पूर्व जजों को चुनाव अधिकारी भी नियुक्त कर दिया है। चुनाव की तिकड़मबाजी अपने चरम पर है। पत्रकारों का इस्तेमाल शुरू हो चुका है। वीरवार को मेल टुडे में स्टोरी पढ़ी, तो शुक्रवार को नवभारत टाइम्स में महानगर खेल के कॉलम में एक खबर देखी।

क्रिकेट के खेल को ही खत्म कर दें, तब अनैतिकता खत्म होगी

इंडियन प्रीमियर लीग के अध्यक्ष/कमिश्नर, चैंपियंस लीग के अध्यक्ष, बीसीसीआई के उपाध्यक्ष, पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष, मोदी इंटरप्राइज़ेज़ के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक और गॉडफ्रे फिलिप्स इंडिया के कार्यकारी निदेशक के रूप में दुनिया भर में अपनी योग्यता का झंडा गाड़ चुके ललित कुमार मोदी आज कल फिर न सिर्फ चर्चाओं में हैं, बल्कि भारत सरकार के लिए बेवजह मुसीबत बने हुए हैं। विवाद की जड़ में क्रिकेट है, इसलिए बात पहले क्रिकेट की ही करते हैं। क्रिकेट का विस्तार सट्टेबाजों ने ही किया है। क्रिकेट का खेल अनैतिकता की गोद में ही फला-फूला है, इसलिए क्रिकेट से जुड़े लोगों से नैतिकता की कल्पना भी नहीं करनी चाहिए।

क्रिकेट प्रतियोगिता के फाइनल मैच में 72 रन से जीती पत्रकारों की टीम

जौनपुर : नगर के राज कालेज के मैदान पर चल रही जेकेपी त्रिकोणीय क्रिकेट प्रतियोगिता के फाइनल मैच में पत्रकार क्रिकेट क्लब ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुये जेसीआई को 72 रन के भारी अंतर से हराकर चैम्पियन का खिताब हासिल कर लिया। विजेता टीम के कुमार कमलेश को लगातार तीसरे मैच में मैन आफ द मैच दिया गया। पूरी प्रतियोगिता में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुये 135 रन बनाने के साथ 12 विकेट लेने वाले जेसीआई के कप्तान आलोक सेठ को मैन आफ द सीरिज दिया गया। मुख्य अतिथि नगर पालिकाध्यक्ष दिनेश टण्डन ने विजेता व उपविजेता टीमों को ट्राफियां प्रदान कीं। 

जौनपुर के राज कालेज मैदान पर दिनेश टण्डन से विजेता ट्राफी लेते पत्रकार। छाया-कुमार कमलेश

गाजियाबाद में पत्रकार शिव कुमार गोयल स्मृति क्रिकेट मैच, क्रिकेट एकादमी टीम विजेता

गाज़ियाबाद : रविवार को वरिष्ठ पत्रकार स्व. शिव कुमार गोयल की स्मृति में क्रिकेट मैच हुआ। शुभारम्भ विधायक सुरेश बंसल ने किया।

आईपीएल में इस तरह लगता है सट्टा, बड़े शहरों से चलता है निजाम

‘सेशन एक पैसे का है’, ‘मैने चव्वनी खा ली है’, ‘डिब्बे की आवाज कितनी है’, ‘तेरे पास कितने लाइन है’, ‘आज फेवरिट कौन है’, ‘लाइन को लंबी पारी चाहिए’… कहने को ये सिर्फ चंद ऊटपंटाग अल्फाज़ लगे, लेकिन इनके बोलने में करोड़ों का लेनदेन हो रहा है।

दूरदर्शन ने जीता मीडिया क्रिकेट का खिताब

लखनऊ : केडी सिंह बाबू स्टेडियम पर हिमांशु शुक्ला मेमोरियल मीडिया ट्वेंटी. 20 क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल में सुधीर अवस्थी (69) और सी एस आजाद (नाबाद 45) की शानदार बल्लेबाजी की बदौलत दूरदर्शन स्पोर्टस क्लब ने टाइम्स ऑफ इंडिया को 8 विकेट से पराजित कर खिताब अपने नाम कर लिया।

महत्वपूर्ण कौन… किसान या क्रिकेट?

यह कतई आश्चर्य की बात नहीं है कि आजकल अखबार व दृश्य श्रव्य मीडिया का पहला समाचार क्रिकेट है, फिर राजनीतिक उठापटक और अपराध या फ़िल्मी सितारों की चमक दमक वगैरह। जंतर मंतर पर लाखों किसान देश के दूर दराज इलाकों से आकर अपनी समस्याएं बताना चाहते हैं लेकिन मीडिया लोकसभा और राज्यसभा में किसानों के चिंतकों की बात तो सुन रहा है परन्तु यहां मौजूद किसानों की नहीं। खड़ी फसलों की भयानक तबाही क्या महज एक खबर है ? यह बात एक किवदंती सी बहु-प्रचलित है कि देश में सत्तर प्रतिशत किसान हैं लेकिन मीडिया में उन पर चर्चा एक प्रतिशत से भी कम होती है।

क्रिकेट का अंध जुनून और राष्ट्र भक्ति के कृत्रिम भाव

क्रिकेट को हथियार बनाकर जिस तरह से देशी भावनाओं से विदेशी पूंजीपति कम्पनियां और व्यवसायिक मीडिया खेल रहा है वह गम्भीर चिंता पैदा करने वाला है। एक गहरी साजिश के चलते क्रिकेट के प्रति अंध जनून पैदा कर भारतीय युवा को मानसिक दिवालीएपन की ओर धकेलने की कोशिश हो रही है। ग्लैमर,मीडिया और शौहरत के इस आडम्बर में कम्पनियां अपने तेल, शैम्पू, कपड़े, इत्र सब बेच रही हैं और वहीं बेरोजगारी, मुफलिसी और अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा युवा अपनी तमाम समस्याओं को भुलाकर उनको अपना रोल मॉडल माने बैठा है। विडम्बना तो यह है कि आमजन की पीड़ा से बिल्कुल भी सरोकार न रखते हुए यह कृत्रिम हीरो बिकाऊ घोड़ों की तरह नीलाम होकर कम्पनियों के जूते, चप्पल बेचने में व्यस्त हैं।