ये हैं मोहम्मद हुसैन, ये हैं हनुमानजी के भक्त (देखें वीडियो)

सुलहकुल की नगरी आगरा के रहने वाले मुहम्मद हुसैन लगभग 15 साल से पांच वक्त की नमाज के साथ बजरंगबली यानि हनुमान जी की खिदमत कर देश और दुनिया में अमन चैन का पैगाम दे रहे है. उनका कहना है कि हिन्दू मुस्लिम सभी भाई हैं और इन्हें आपस में भाई की तरह ही रहना चाहिए.  मोहम्मद हुसैन पेशे से इलेक्ट्रिशियन हैं और थाना ताजगंज क्षेत्र के विभव नगर में रहते हैं. मोहम्मद हुसैन लगभग पंद्रह सालों से विभव नगर पुलिस चौकी के पास बने हनुमान मंदिर की देख रेख कर रहे हैं.

इनके बेशर्म फतवे से पूरा मुस्लिम समाज खुद को शर्मसार महसूस करता है

Asrar Khan : मतदान से एक दिन पहले मुसलमानों से किसी पार्टी विशेष को वोट देने की अपील करना जामा मस्जिद के इमाम अहमद बुखारी साहब के मजहबी धंधे का हिस्सा है… इनके बेशर्म फतवे से पूरा मुस्लिम समाज खुद को शर्मसार महसूस करता है लेकिन इनका यह पुश्तैनी धंधा बदस्तूर जारी है ….मेरा ख्याल है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपनी हार के भय से मतदान में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण कराने के मकसद से इमाम साहब के आगे कुछ टुकड़े फेंक दिये होंगे और इमाम साहब ने मुसलमानों से आम आदमी पार्टी के पक्ष में मतदान करने की अपील कर दिया ….? मित्रों जैसा की आप सभी को मालूम है कि दिल्ली के चुनावों में भारतीय जनता पार्टी अपने वैचारिक दिवालियापन और मोदी के U-Turn की वजह से हारने जा रही है और आम आदमी पार्टी अरविंद केजरीवाल और आप की विश्वसनीयता की वजह से जीत की ऐतिहासिक चौखट पर खड़ी है, ऐसे में अहमद बुखारी जैसे बिकाऊ व्यक्तियों की बातों को तरजीह न देते हुए अपने क्रांतिकारी विचारों से प्रेरित होकर आम आदमी की इस लड़ाई को कामयाब बनाने के लिए मिलजुल कर भाईचारे के साथ जमकर मतदान करें और अपने सच्चे भारतवासी होने का परिचय देते हुए धर्म और जाति की राजनीति के किसी भी प्रयास को विफल कर दें ……!

कबीर साहेब क्यों हैं आज भी स्वीकृत और गौतम बुद्ध हो गए खारिज?

Sumant Bhattacharya : इस धरती पर “कबीर साहेब” एकमात्र ऐसे संत हुए जिन्होंने लाठी लेकर “हिंदू और मुसलमानों” के आडंबर पर बरसाया। जितना उन्होंने गरिआया, और वो भी देसी भाषा में, उतना तो किसी और ने नहीं। बावजूद आज भी भारत में कबीर साहेब के 21 करोड़ से ज्यादा अनुयायी है। वहीं “गौतम बुद्ध” हुए। जिन्होंने एक संगठित धर्म की स्थापना की. “ब्राह्मण आडंबरों” की पुरजोर मुखालफत की, समृद्ध दर्शन भी दिया। फिर क्यों गौतम बुद्ध अपनी ही जमीन से खारिज हो गए और कबीर साहेब आज भी पूजे जाते हैं?