शिमला : आइआइटी मंडी कांड में सरकारी तंत्र की नंगई के खुले दर्शन किए जा सकते हैं। कहानी सीधी सी है- सैकड़ों मजदूर श्रम कानूनों को लागू कराने के लिए ठेकेदार और सरकारी तंत्र पर दबाव बना रहे थे। शातिर ठेकेदार प्रशासन के नाक के सामने मजदूरों का 24 लाख रुपये का ईपीएफ हड़प चुका था और अब वेतन देने में भी आनाकानी कर रहा था। प्रशासन ने मजदूरों का साथ देने के बजाए ठेकेदार को ही बंदूक की नोक पर ‘समाधान’ करने देने का मौका दिया, लेकिन पासा उलटा पड़ गया।
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यूपी में किसान की मौत और आदिवासी नेता पर पुलिसिया फायरिंग से मुलायम-अखिलेश का असली चेहरा उजागर
लखनऊ 14 अप्रैल 2015। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के लोकसभा क्षेत्र आजमगढ़ के गांव सरायसादी में हुई किसान की मौत को रिहाई मंच ने सपा सरकार की किसान विरोधी नीति का एक और उदाहरण बताते हुए कहा कि इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सूबे में किसान और उसके प्रति सरकार का रवैया क्या है। मंच ने सोनभद्र में कन्हार बांध के नाम पर गैरकानूनी ढ़ंग से किए जा रहे अधिग्रहण के खिलाफ अंबेडकर जयंती पर ‘संविधान बचाओ’ प्रदर्शन पर पुलिस फायरिंग की कड़ी भर्त्सना करते हुए दोषी पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
यूपी में जंगलराज : एक और अन्नदाता ने की आत्महत्या, एक और किसान के सीने में घुसी पुलिस की गोली
यूपी में एक महीने में 67 किसानों ने की आत्महत्या कर ली। ये आंकड़ा झूठा है क्योंकि ये पिछले मार्च महीने में हुई किसान मौतों का जोड़ है। आज तो आधा अप्रैल भी गुजर रहा है। संख्या सैकड़ा पार कर चुकी है। बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और उसके साथ ही किसानों की सदमे से मौत और खुदकुशी का सिलसिला भी थम नहीं रहा है। मौसम लगातार फसलों पर कहर बन कर टूट रहा है। करोड़ों अन्नदाताओं के घरों में अंधेरा पसरता जा रहा है। उन्हें अपनी मुसीबतों का कोई पारावार नहीं सूझ रहा है। अखबारी सूचनाओं पर यकीन करें तो सबसे खराब हाल उत्तर प्रदेश के मध्यक्षेत्र और बुंदेलखंड का है। यहां रोजाना मौतों की गिनती बढ़ती जा रही है।