मीडिया घरानों को नंगा करने वाले ‘कोबरा पोस्ट’ के संपादक अनिरुद्ध बहल का वीडियो इंटरव्यू देखें

दो पार्ट में मीडिया घरानों का स्टिंग कराने वाली मीडिया कंपनी कोबरापोस्ट के कर्ताधर्ता हैं अनिरुद्ध बहल. चमक-दमक और प्रचार से दूर रहने वाले इस शख्स के बारे में लोग कम ही जानते हैं. भड़ास के संस्थापक और संपादक यशवंत सिंह ने कल नोएडा स्थित कोबरापोस्ट के आफिस जाकर अनिरुद्ध बहल का एक विस्तृत वीडियो …

सुप्रिय प्रसाद मीडिया इंडस्ट्री के सर्वश्रेष्ठ बॉसेज में से एक हैं!

Yashwant Singh : संपादक को अपने व्यवहार और दिमाग से कैसा होना चाहिए… मैं जो समझ पाता हूं वो ये कि उसे नितांत डेमोक्रेटिक होना चाहिए. सबकी सुने…सबको मौका दे.. सरल-सहज रहे ताकि उससे कोई भी मिल जुल कह बता सके… नकारात्मकता न हो… कोई बुरा कहे तो जज्ब कर ले… कोई अच्छा करे तो उसे वाहवाही दे दे… आज के दौर के युवा संपादकों की बात करें तो कुछ ही हैं जो इस पैमाने पर खरे उतरते हैं… सुप्रिय प्रसाद को उनमें से एक मानता हूं…

सुप्रिय प्रसाद

भास्कर ग्रुप को धूल चटाने वाली इस लड़की का इंटरव्यू देखें-सुनें

मजीठिया वेज बोर्ड की लड़ाई लड़ने में बहुत बड़े बड़े पत्रकारों की पैंट गीली हो जाती है लेकिन भास्कर समूह में रिसेप्शनिस्ट पद पर कार्यरत रही एक लड़की ने न सिर्फ भास्कर ग्रुप से कानूनी लड़ाई लड़ी बल्कि अपना हक हासिल करने की अग्रसर है.

मजीठिया वेज बोर्ड मुद्दे पर सीनियर एडवोकेट मदन तिवारी का जोरदार इंटरव्यू, देखें वीडियो

बिहार के गया जिले के सीनियर एडवोकेट मदन तिवारी मजीठिया वेज बोर्ड मुद्दे पर गया के ही दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार पंकज जी का फ्री में मुकदमा लड़ रहे हैं और जागरण प्रबंधन के हर दांव को न्यायालय में फेल करते हुए विजयश्री दिलाने की ओर अग्रसर हैं. पत्रकार पंकज ने मजीठिया वेज बोर्ड के मुद्दे पर मदन तिवारी से विस्तार से बातचीत की ताकि देश भर के मजीठिया क्रांतिकारी इस मामले के विभिन्न बिंदुओं को बारीकी से समझ कर अपने संघर्ष के हथियार को पैना कर सकें.

‘मलिकज़ादा’ के विमोचन के बाद यशवंत ने की इसके लेखक नज़ीर मलिक से बातचीत, देखें वीडियो

35 साल सेवा के बाद वरिष्ठ पत्रकार को क्यों देना पड़ा दैनिक जागरण से इस्तीफा, जानिए पूरी दास्तान… सिद्धार्थनगर जिले के दैनिक जागरण के ब्यूरो चीफ रहे वरिष्ठ पत्रकार नज़ीर मलिक अपने जीवन, करियर और संघर्षों की कहानी बयां कर रहे हैं, भड़ास संपादक यशवंत से एक विशेष बातचीत में… 

मोदी जी का इंटरव्यू और जी न्यूज के सामने पकौड़े वाला….

Nitin Thakur : सुधीर सर ने जो इंटरव्यू लिया उसे जर्नलिज़्म के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाए. छात्रों को वो हुनर सिखाया जाए कि एकतरफा संवाद करनेवाले नेता के भाषण के बीच में सवालनुमा टिप्पणी कुशलतापूर्वक घुसाकर कैसे इंटरव्यू होने का भ्रम पैदा किया जाता है. मोदी जी ने बाकायदा समझाया कि कैसे ज़ी न्यूज़ के बाहर पकौड़े तलनेवाले को 200 रुपए रोज़ाना का रोज़गार मोदीकाल में मिला है।

प्रणय राय की काली कमाई की पोल खोल दी इस IRS अधिकारी ने, देखें वीडियो

प्रणय राय अपना अफ्रीका वाला फार्म हाउस गिरवी रख देते तो सैकड़ों कर्मचारियों की नौकरी बच जाती… 

Yashwant Singh :  आपको मालूम है, प्रणय राय ने काली कमाई से अफ्रीका में सैकड़ों एकड़ का फार्म हाउस खरीद रखा है जिसमें ऐय्याशी के सारे साजो-सामान उपलब्ध है. प्रणय राय ने गोवा में समुद्र किनारे बंगला खरीद रखा है. दिल्ली और देहरादून में बंगले खरीद रखे हैं. एक हेलीकाप्टर भी खरीदा हुआ है. अगर वो सिर्फ अफ्रीका का अपना सैकड़ों एकड़ वाला रैंच या गोवा का सी-बीच वाला बंगला गिरवी रख दें तो सैकड़ों करोड़ रुपया मिल जाएगा. इस पैसे से वह एनडीटीवी की माली हालत ठीक कर सकते थे. सैकड़ों कर्मियों का ‘कत्ल’ करने से बच सकते थे.

युवा अखबार मालिक अभिजय चोपड़ा शतरंज के जरिए पंजाबी युवाओं में फैली नशे की लत को देंगे मात

दिमाग के खेल शतरंज यानि चेस में अब उत्तर भारत, खासतौर पर पंजाब के कई खिलाड़ी अपनी धाक जमाने लगे हैं। पंजाब में चेस के इस बढ़ते कल्चर का श्रेय ‘पंजाब केसरी’ के डायरैक्टर अभिजय चोपड़ा को जाता है जिन्होंने जालन्धर में पंजाब केसरी सेंटर ऑफ चेस एक्सीलैंस शुरू किया है। इस मंच के तहत जालन्धर में चेस प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है जिसमें बड़ी संख्या में बच्चे भाग लेकर चेस की बारीकियां सीख रहे हैं और अपने आपको बड़े टूर्नामैंट के लिए तैयार कर रहे हैं। भड़ास ने अभिजय चोपड़ा के साथ जालन्धर में विशेष बातचीत की। पेश है अभिजय चोपड़ा से बातचीत का एक अंश :

जंगल से आदिवासियों को बेदखल कर कारपोरेट को बसाने का अभियान मोदी सरकार ‘नक्सल सफाया’ के नाम पर चला रही है : वरवर राव

1940 में आंध्र-प्रदेश के वारंगल में जन्मे वरवर राव ने कोई 40 सालों तक कॉलेजों में तेलुगू साहित्य पढ़ाया है और लगभग इतने ही सालों से वे भारत के सशस्त्र माओवादी आंदोलन से भी जुड़े हुए हैं। वैसे वरवर राव को भारतीय माओवादियों के संघर्ष का प्रवक्ता माना जाता है, सरकारी दावे के अनुसार वे सशस्त्र माओवादियों के नीतिकार भी हैं, परंतु वरवर राव अपने को क्रांतिकारी कवि कहलाना ज्यादा पसंद करते हैं। सत्ता के खिलाफ लिखने-पढ़ने, संगठन बनाने और पत्र-पत्रिकायें प्रकाशित करने वाले वरवर राव टाडा समेत देशद्रोह के आरोप में लगभग 10 वर्षों तक जेल में रहे हैं और अभी लगभग 50 मामलों पर विभिन्न कोर्टों में सुनवाई चल रही है तो कुछ मामलों पर जमानत पर हैं।