हिंदी अखबार के उप संपादक छोकरे और अंग्रेजी अखबार की कन्या का लव जिहाद!

साल 1988 की बात है। मैं तब जनसत्ता में मुख्य उप संपादक था और उसी साल संपादक प्रभाष जोशी ने जनसत्ता के राज्यों में प्रसार को देखते हुए एक अलग डेस्क बनाई। इस डेस्क में यूपी, एमपी, बिहार और राजस्थान की खबरों का चयन और वहां जनसत्ता के मानकों के अनुरूप जिला संवाददाता रखे जाने का प्रभार मुझे सौंपा। तब तक चूंकि बिहार से झारखंड और यूपी से उत्तराखंड अलग नहीं हुआ था इसलिए यह डेस्क अपने आप में सबसे बड़ी और सबसे ज्यादा जिम्मेदारी को स्वीकार करने वाली डेस्क बनी। अब इसके साथियों का चयन बड़ा मुश्किल काम था। प्रभाष जी ने कहा कि साथियों का चयन तुम्हें ही करना है और उनकी संख्या का भी।

आइबीएन7 की स्टोरी इस्लाम और आतंकवाद को खुलेआम पर्याय मानती है!

Vineet Kumar : आप मुझे बस इतना बताइए कि आइबीएन7 जब ये बता रहा है कि दो लड़कियां आतंकवादियों के चंगुल से भाग निकली जिन्हें कि शादी का झांसा देकर उन लोगों ने अपने साथ कर लिया था, इस स्टोरी के विजुअल्स में हरे रंग का चांद और लाल रंग का दिल शामिल करने का क्या तुक बनता है? अब जब आप बिना पूरी छानबीन के पहले से ही दर्शकों को आतंकवाद और इस्लाम को एक-दूसरे का पर्याय और इधर धोखाधड़ी और प्रेम को एक करके बता रहे हों तो दर्शको के लिए ये जुमलेबाजी करना कहां मुश्किल रह जाता है कि सारे मुस्लमान आतंकवादी नहीं होते लेकिन सारे आतंकवादी मुस्लमान क्यों हैं?

लव जेहाद के हंगामे को कैसे देखें

Awadhesh Kumar : आज जैन टीवी पर हमने पाकिस्तान की ओर से गोलीबारी एवं लव जेहाद पर चर्चा की। पिछले एक दशक से हम लव जेहाद शब्द सुन रहे हैं। मैंने कभी इस शब्द को गंभीरता से लिया ही नहीं। कई बार लोग मेरे पास आते थे कि इस विषय को उठाइए। मुझे लगता था …