गिने चुने संपादकों से तुलना मत कीजिए, खुद को सेवक कब मानेंगे प्रभु!
गरीब सांसदों को वेतन में बढो़त्तरी चाहिए. लाखों रुपए जो बतौर वेतन भत्ते मिलते हैं, वे कम हैं. राज्य सभा में सपा सांसद नरेश अग्रवाल ने बुधवार को कहा कि मीडिया ट्रायल की वजह से संसद डरती है. उन्होंने हवाला यह दिया कि संपादकों के वेतन का चौथाई भी मिल जाए, वही बहुत है. सही कहा नरेशजी ने. टीवी चैनल के गिने चुने पांच-सात संपादकों का पैकेज जरूर करोड़ों में है. परंतु जिस मीडिया से वह डरते हैं वहां के पत्रकारों का वेतन पांच-सात हजार मासिक तक का है. पत्रकार इस कदर जीवन यापन कर रहा है कि विपन्नता उसे गलत कामों की ओर मोड़ देती है, सांसदों को यह पता नहीं है क्या कि प्रिंट मीडिया के पत्रकारों की स्थिति कितनी शोचनीय है?