…जब हॉकर के हाथों नहीं, ई-मेल के जरिए आएगा अखबार…!

किशोर कुमार

संचार क्रांति के इस दौर में समाचार माध्यम भी तेजी से बदल रहे हैं। अभी तक घर पर छपा हुआ अखबार आता रहा है। जहां इंटरनेट की बेहतर सुविधा है, वहां ई-पेपर या न्यूज पोर्टल का जमाना आ गया है। युवा तो और भी एक कदम आगे हैं। वे सोशल मीडिया के इस दौर में न्यूज पोर्टलों पर भी जाना पसंद नहीं करतें, बल्कि ट्वीटर या फेसबुक पर लिंक के जरिए अनेक पोर्टलों या ई-पेपरों की पसंदीदा सामग्रियां पढ़ लेते हैं।

आज छपी इन तीन खबरों के जरिए जानिए भाजपा का चाल, चरित्र और चेहरा

Anil Singh : तीन खबरों में चाल-चरित्र और चेहरा! आज छपी तीन खबरें जो सरकार के चाल-चरित्र व चेहरे को समझने के लिए काफी हैं। एक, उत्तर प्रदेश के शामली कस्बे में एक मुस्लिम युवक का चेहरा कालिख से पोतकर सड़क पर जमकर पीटनेवाले बजरंग दल के जेल में बंद नेता विवेक प्रेमी पर लगा राष्ट्रीय सुरक्षा कानून केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर हटा लिया गया।

मोबाइल टावर्स लगाने का लालच और विज्ञापन के भूखे लालची अखबार… पढ़िए एक युवा ने क्यों कर लिया सुसाइड

Vinod Sirohi : जरूर शेयर करें —मोबाइल टावर्स लगाने का लालच और विज्ञापन के भूखे लालची अखबार — आप पर कोई बंदिश नहीं है आप इस मैसेज को बिना पढ़े डिलीट कर सकते हैं। अगर आप पढ़ना चाहें तो पूरा पढ़ें और पढ़ने के बाद 5 लोगों को जरूर भेजें।

मेरा नाम राहुल है। मैं हरियाणा के सोनीपत जिले के गोहाना का रहने वाला हूँ। आप भी मेरी तरह इंसान हैं लेकिन आप में और मुझमें फर्क ये है कि आप जिन्दा हैं और मैंने 19 अगस्त, 2015 को रेल के नीचे कटकर आत्महत्या कर ली।

मजीठिया : देवघर के ‘इंडियन पंच’ अखबार प्रबंधन ने कर्मचारियों से खेला घिनौना खेल

देवघर (झारखंड) : मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशें लागू करने से बचने के लिए अखबार मालिकों द्वारा नित नये घिनौने हथकंडे अपनाये जा रहे हैं। यहां से प्रकाशित होने वाले हिन्दी दैनिक ‘इंडियन पंच’ के मालिक ने अखबार में कार्यरत सभी कर्मियों से कहा है कि स्थानीय सहायक श्रमायुक्त ने पूरे स्टॉफ के नियुक्ति पत्र मांगे हैं, ताकि यह पता चले कि यहां कितने कर्मी कार्यरत हैं। उसके बाद हाजिरी रजिस्टर गायब कर दिया गया। फिर नोटिस दिया गया कि सभी कर्मी अपने आईडी कार्ड जमा कर दें। इसके पीछे अखबार प्रबंधन और श्रम विभाग की मिलीभगत बताई जा रही है। 

प्रजातंत्र लाइव में जबर्दस्त उथल-पुथल, रासबिहारी सहित दर्जन भर लोगों का मुंबई स्थानांतरण

लाइव इंडिया ग्रुप के अतिमहत्वकांक्षी अखबार ‘प्रजातंत्र लाइव’ की महज एक साल के अंदर ही ऐसी दुर्गति होगी, किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा। डा.प्रवीण तिवारी के नेतृत्व में अखबार को पहले ही दिन से संभालने वाले वरिष्ठ पत्रकार अनूप झा की असामयिक मृत्यु के बाद अखबार की ऐसी दुर्गति हुई है। अब अखबार की बंद होने के कगार पर है। 

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: अखबारों-टीवी की विज्ञापन नीति और नैतिक मापदंडों के लिए मदद करें : बड़े नाम के किसी भी अखबार और पत्रिका को उठा लीजिए, मजीठिया वेतन बोर्ड आयोग की सिफारिशों के अनुरूप पत्रकारों को वेतन देने में बहानेबाजी कर रहे अखबार मालिकों की माली हैसियत सामने आ जाएगी। लेकिन इनके अखबारों में विज्ञापनों की इतनी भरमार रहती है कि कभी तो उनमें खबरों को ढूंढना पड़ता है। लेखकों को दिए जा रहे पारिश्रमिकों की हालत यह है कि सिर्फ लेख लिखने के दम पर गुजारा करने की बात सोची नहीं जा सकती। हमारे देश में सिर्फ एक अखबार या पत्रिका में लेख या स्थायी स्तंभ लेखन के जरिए गुजारे की कल्पना करना, उसमें भी हिन्दी भाषा में, असंभव है।