संचार माध्यमों के विस्तार के साथ ही इंटरनेट ने एक ऐसी दुनिया क्रिएट की, जिसके चलते विश्व-ग्राम की अवधारणा की स्थापना हुई। बहुसंख्या में आज भी लोग इंटरनेट फ्रेंडली भले ही न हुए हों लेकिन ज्यादातर काम इंटरनेट के माध्यम से होने लगा है। बाजार ने जब देखा कि इंटरनेट के बिना अब समाज का काम नहीं चलना है तो उसने अपने पंजे फैलाना आरंभ कर दिया और अपनी मनमर्जी से इंटरनेट यूजर्स के लिए दरें तय कर दीं।
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल क्या इन पांच सवालों के जवाब देंगे!
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से पांच सवाल ऐसे हैं, जो अनेक लोगों के मन में आजकल गूंज रहे हैं। क्या अरविंद केजरीवाल इन वांच सवालों का जवाब दे सकते हैं? अरविंद केजरीवाल के पास इन सवालों का क्या जवाब है-
स्त्री-अस्मिता और कुछ सवाल
नैतिकता, जाति, धर्म, स्त्री और स्त्री-पुरुष संबंधों आदि से जुड़े तमाम सवालों को लेकर हमारे सामाजिक और राजनीतिक जीवन में, खासकर खाए-अघाए तबके में, पाखंड इस कदर हावी है कि वह अपनी तमाम कुंठाओं को तरह-तरह से छिपाता और सच या कड़वे सवालों का सामना करने से कतरता और घबराता है। इसलिए पिछले दिनों बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा छब्बीस फीसद से बढ़ा कर उनचास फीसद करने के लिए पेश किए गए विधेयक पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान चमड़ी के रंग और सुंदरता को लेकर दिए गए मेरे भाषण के एक अंश पर जिस तरह देशव्यापी चर्चा हुई और जिसका सिलसिला अब भी जारी है, उससे एक बार फिर यही साबित हो रहा है कि भारतीय समाज के अंतर्विरोधों, खासकर चमड़ी के रंग पर रची मानसिकता और स्त्री की अस्मिता को लेकर हमारे देश के पढ़े-लिखे तबके में भी ज्यादातर लोगों की सामान्य समझ औसत से कम है। जितनी है, वह बेहद विकृत है।