संजय गुप्ता समेत पूरी जागरण टीम गिरफ्तार न होने का मतलब चुनाव आयोग भी किसी दबाव में है!

Ram Janm Pathak : हेकड़ी, एक्जिट पोल और खानापूरी… चुनाव आयोग के स्पष्ट मनाही की जानकारी होने के बावजूद अगर दैनिक जागरण की आनलाइन साइट ने एक्जिट पोल छापने की हिमाकत की है तो यह सब अचानक या गलती से नहीं हुआ है, जैसा कि उसके स्वामी-संपादक संजय गुप्ता ने सफाई दी है। गुप्ता ने कहा कि यह ब्योरा विज्ञापन विभाग ने साइट पर डाल दिया। अपने बचाव में इससे ज्यादा कमजोर कोई दलील नहीं हो सकती। अखबार के बारे में थोड़ा -बहुत भी जानकारी रखने वाले जानते हैं कि समाचार संबंधी कोई भी सामग्री बिना संपादक की इजाजत के बगैर नहीं छप सकती।

संजय गुप्त अखबार मालिक नहीं बल्कि एक पार्टी का प्रवक्ता है!

Praveen Malhotra जागरण और नई दुनिया (इंदौर) के मालिक और प्रधान संपादक संजय गुप्त एक पार्टी के प्रवक्ता की तरह काम कर रहे हैं। इस परिवार की यह खूबी है कि सत्ता के साथ निकटता स्थापित कर फायदा उठाया जाए और राज्यसभा की सीट भी प्राप्त कर ली जाये। पेड़ न्यूज़ छापने में भी इन्हें महारत हांसिल है। पत्रकारिता इनके लिए एक व्यवसाय से अधिक कुछ नहीं है।

यशवंत की जागरण कर्मियों को सलाह- संजय गुप्ता की गिरफ्तारी के लिए चुनाव आयुक्त को पत्र भेजो

Yashwant Singh : दैनिक जागरण का संपादक संजय गुप्ता है. यह मालिक भी है. यह सीईओ भी है. एग्जिट पोल वाली गलती में यह मुख्य अभियुक्त है. इस मामले में हर हाल में गिरफ्तारी होनी होती है और कोई लोअर कोर्ट भी इसमें कुछ नहीं कर सकता क्योंकि यह मसला सुप्रीम कोर्ट से एप्रूव्ड है, यानि एग्जिट पोल मध्य चुनाव में छापने की कोई गलती करता है तो उसे फौरन दौड़ा कर पकड़ लेना चाहिए. पर पेड न्यूज और दलाली का शहंशाह संजय गुप्ता अभी तक नहीं पकड़ा गया है.

संपादक तो फ़िज़ूल में गिरफ़्तार हो गया, गिरफ़्तारी गुप्ता बंधुओं की होनी चाहिये : देवेंद्र सुरजन

Devendra Surjan : एक्ज़िट पोल छापने वाले जागरण परिवार की पूर्व पीढ़ी के दो और सदस्य सांसद रह चुके हैं. गुरुदेव गुप्ता और नरेन्द्र मोहन. यह परिवार सत्ता की दलाली हमेशा से करता आ रहा है. वर्तमान में जागरण भाजपा का मुखपत्र बना हुआ है. सत्ताधीशों का धन इसमें लगा होने की पूरी सम्भावना है. हर राज्य में किसी न किसी नाम से और किसी न किसी रूप में संस्करण निकाल कर सरकार के क़रीबी बना रहना इस परिवार को ख़ूब आता है. एक्ज़िट पोल छाप कर सम्पादक तो फ़िज़ूल में गिरफ़्तार हो गया जबकि गिरफ़्तारी गुप्ता बंधुओं की होनी चाहिये थी.