नई दिल्ली। रविवार को दिल्ली के पडपडगंज स्थित नेशनल विक्टर पब्लिक स्कूल में यमुना ट्रॉफी लीग-2016 की शुरुआत की गई। इसका उदघाटन मुख्य अतिथि दिल्ली पुलिस के सीनियर स्पेशल कमिश्नर दीपक मिश्रा (आईपीएस) ने किया। यमुना ट्रॉफी लीग का आयोजन, पूर्वी दिल्ली उपायुक्त भैरों सिंह गुज्जर के साथ यमुना ट्रॉफी प्रबंधन कमेटी और इंडियन मीडिया वेल्फेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव निशाना द्वारा किया गया।
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प्रतिमा भार्गव केस में प्रेस काउंसिल ने दैनिक जागरण और आई-नेक्स्ट को दोषी ठहराते हुए लताड़ा, …लेकिन बेशर्मों को शर्म कहां!
आगरा की रहने वाली प्रतिमा भार्गव ने मीडिया के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई जीत ली है. लेकिन दुख इस बात का है कि बेशर्म मीडिया वाले इस खबर को कतई नहीं छापेंगे. अगर इनमें थोड़ी भी नैतिकता होती तो प्रेस काउंसिल आफ इंडिया के इस फैसले को न सिर्फ प्रकाशित करते बल्कि खुद के पतने पर चिंता जताते, विमर्श करते. प्रतिमा भार्गव के खिलाफ एक फर्जी खबर दैनिक जागरण आगरा और आई-नेक्स्ट आगरा ने प्रमुखता से प्रकाशित किया. अनाप-शनाप आरोप लगाए.
संपादक की मदद से ‘दिव्य हिमाचल’ भी खेल रहा मजीठिया विरोधी खेल
अपने कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड के अनुरूप वेतन देने का दावा करने वाले हिमाचल के हिंदी दैनिक दिव्य हिमाचल के संबंध में हास्यास्पद जानकारी मिली है। इस अखबार ने श्रम विभाग को अपने कर्मचारियों की एक सूची मुहैया करवाई है। इसमें दावा किया गया है कि इन्हें मजीठिया वेज बोर्ड की सिफारिशों के अनुरुप वेतन दिया जा रहा है। बाकी के सैकड़ों कर्मचारी न जाने किस मद में डाले गए हैं। इस लिस्ट में मात्र 84 कर्मचारियों व अधिकारियों के नाम व वेतन दर्शाए गए हैं।
टीआरपी का तमाशा : एनडीटीवी जैसे चैनल को दसवें नंबर का बना डाला…
: आजतक फिर नंबर एक पर, न्यूज24 फिर हुआ न्यूज नेशन से पीछे : इस बाजारीकृत व्यवस्था में सब कुछ पूंजी से तय होता है. चैनल कितने देखे गए, इसका आंकड़ा जुटाने वाली प्राइवेट संस्था ‘टैम’ में घपले-गड़बड़ियां खूब है पर इसकी जांच कराने की किसी में हिम्मत नहीं होती. जो ज्यादा आंख तरेरता है और सत्ता में अच्छा खासा दखल रखता है, टैम वाले टामी उसकी ‘मुराद’ पूरी कर देते हैं. या तो उसके या उससे जुड़े चैनल को ज्यादा टीआरपी देकर बड़ा कर देते हैं या फिर उसको किसी अन्य तरीके से ‘ओबलाइज’ कर देते हैं. यही कारण है कि टैम वाले उन न्यूज चैनलों को तो ज्यादा टीआरपी देते हैं जिनका कंटेंट बेहद पूवर यानि घटिया है, लेकिन जो अच्छे कंटेंट दिखाता है, यथा एनडीटीवी जैसे चैनल, उनको बिलकुल आखिरी पायदान पर डाल देते हैं.