भीमा कोरेगांव, दलित-ब्राह्मण संघर्ष, यलगार परिषद और नक्सली कनेक्शन की कहानी

महाराष्ट्र के पुणे जिले में भीमा कोरेगांव नाम का एक गांव है। दो सौ साल पहले, एक जनवरी 1818 के दिन इस गांव में ईस्ट इंडिया कंपनी और पेशवाओं के नेतृत्व वाली मराठा सेना के बीच एक लड़ाई हुई थी। इस लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की तरफ से लड़ते हुए दलित महार जाति के …

शहरी नक्सली नहीं, ये हुकूमत ख़तरनाक है!

प्राइवेट कंपनियों के मालिकों को धनकुबेर बनाने के लिए सरकारी कंपनियों को बर्बाद कर दिया गया। देश की 157 सरकारी कंपनियां एक लाख करोड़ से भी ज्यादा का नुकसान झेल रहीं हैं। कभी देश को गौरवान्वित करने वाली कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) अब बर्बाद हो चुका है। अकेले 2016-17 में कंपनी को 3187 …

नक्सली बताकर गौतम नवलखा समेत कई पत्रकार, वकील और लेखक किए गए गिरफ्तार

Urmilesh Urmil : देश के कई वरिष्ठ बुद्धिजीवियों, जिनमें प्रख्यात पत्रकार, एडवोकेट और लेखक शामिल हैं; की गिरफ्तारी भारतीय राज्यसत्ता की निरंकुशता के खतरनाक स्तर तक पहुंचने का भयावह संकेत है! इनमें ‘इकोनामिक एंड पोलिटिकल वीकली’ जैसी देश की श्रेष्ठतम पत्रिका से लंबे समय तक सम्बद्ध रहे जाने-माने पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा और …

चुनावी साल से पहले संघ-भाजपा का नया प्रपंच- Urban Naxals

Abhishek Srivastava : आज की गिरफ्तारियों के बहाने ”Urban Naxals” पर कुछ बातें… पिछले चार साल में एक ट्रेंड पर ध्‍यान दें। अगले एक साल की तस्‍वीर साफ़ होती दिखेगी। केंद्र की सत्‍ता में आने के बाद भाजपा सरकार ने पहले एक साल में छिटपुट मूर्खतापूर्ण बयानों और दुष्‍प्रचार की राजनीति जम कर की। याद …

जंगल से आदिवासियों को बेदखल कर कारपोरेट को बसाने का अभियान मोदी सरकार ‘नक्सल सफाया’ के नाम पर चला रही है : वरवर राव

1940 में आंध्र-प्रदेश के वारंगल में जन्मे वरवर राव ने कोई 40 सालों तक कॉलेजों में तेलुगू साहित्य पढ़ाया है और लगभग इतने ही सालों से वे भारत के सशस्त्र माओवादी आंदोलन से भी जुड़े हुए हैं। वैसे वरवर राव को भारतीय माओवादियों के संघर्ष का प्रवक्ता माना जाता है, सरकारी दावे के अनुसार वे सशस्त्र माओवादियों के नीतिकार भी हैं, परंतु वरवर राव अपने को क्रांतिकारी कवि कहलाना ज्यादा पसंद करते हैं। सत्ता के खिलाफ लिखने-पढ़ने, संगठन बनाने और पत्र-पत्रिकायें प्रकाशित करने वाले वरवर राव टाडा समेत देशद्रोह के आरोप में लगभग 10 वर्षों तक जेल में रहे हैं और अभी लगभग 50 मामलों पर विभिन्न कोर्टों में सुनवाई चल रही है तो कुछ मामलों पर जमानत पर हैं।

बस्तर पुलिस ने देशबंधु अखबार के ब्यूरो चीफ देवशरण तिवारी को फर्जी मामलों में फंसाया

रायपुर । बस्तर में ईमानदार और निरपेक्ष पत्रकारों पर हमले जारी हैं। इस बार पुलिस ने षड्यंत्र कर तीन माह पुराने मामले में देशबंधु बस्तर के ब्यूरोचीफ व छत्तीसगढ़ सरकार के अधिमान्यता प्राप्त पत्रकार देवशरण तिवारी का नाम चालान पेश करते समय न केवल आरोपियों की लिस्ट में जोड़ा बल्कि उन्हें फरार भी बताया है। ज्ञात हो कि तीन माह पूर्व बस्तर परिवहन संघ के दो गैंग के बीच खूनी संघर्ष हुआ था। इस पूरे मामले को लेकर देवशरण ने खुद लगातार समाचार कवरेज किया था। देशबंधु कार्यालय के ठीक बगल में स्थित बस्तर परिवहन संघ के कार्यालय को सील करते समय पुलिस ने पंचनामा में देवशरण का भी हस्ताक्षर कराया था।

एक आदिवासी की हत्या का प्रशासनिक जश्न बनाम विरोध की खबरों का दम घोंटा जाना

रूपेश कुमार सिंह


झारखंड के गिरिडीह जिला के पीरटांड़ प्रखंड के मधुबन थाना अंतर्गत जैन तीर्थावलम्बियों के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल पारसनाथ पर्वत की तलहटी में स्थित आदिवासी गांव ढोलकट्टा के समीप 9 जून 2017 को माओवादियों व सीआरपीएफ कोबरा के बीच मुठभेड़ होती है और उसी दिन शाम में पुलिस दावा करती है कि मुठभेड़ में एक दुर्दांत माओवादी को मार गिराया गया है, साथ ही उसके पास से एक एसएलआर व गोली समेत कई चीजें दिखाई जाती है।

नक्सलबाड़ी अर्द्धशताब्दी समारोह की रपट

तेभागा और तेलंगाना के बाद नक्सलबाड़ी किसान आंदोलन ने समाज, राजनीति और संस्कृति पर काफी असर पैदा किया। इसे ‘वसन्त का बज्रनाद’ के नाम से भी जाना जाता है। बीते 25 मई को इस आंदोलन ने पचास साल पूरे किए। इतना लम्बा समय बीत जाने के बाद भी उस आंदोलन की राजनीतिक व वैचारिक उष्मा संघर्षशील जन समुदाय और प्रगतिशील व जनवादी बौद्धिकों द्वारा आज भी महसूस की जाती है। वर्तमान चुनौतियों के संदर्भ में नक्सलबाड़ी को याद करने, उसकी दशा-दिशा और उसके सांस्कृतिक प्रभाव पर विचार करने के लिए जन संस्कृति मंच की ओर से ‘नक्सलबाड़ी अर्द्धशताब्दी समारोह’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम स्थानीय जयशंकर प्रसाद सभागार, कैसरबाग, लखनऊ  में हुआ। इसके मुख्य अतिथि थे जाने माने वामपंथी चिन्तक कामरेड जयप्रकाश नारायण तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता जन संस्कृति मंच के प्रदेश अध्यक्ष कौशल किशोर ने की। समारोह का आरम्भ शहीद वेदी पर पुष्पांजलि से हुआ। दो सत्रों में बंटे इस कार्यक्रम में कविता पाठ के साथ परिसंवाद का आयोजन था।

बस्तर के आईजी कल्लूरी ने जिस पत्रकार सोमारू नाग को नक्सली बताकर जेल में ठूंसा उसे कोर्ट ने बाइज्जत बरी करने का आदेश दिया

Kamal Shukla : ब्रेकिंग न्यूज़ जगदलपुर… पत्रकार सोमारू नाग को न्यायालय ने किया बाइज्जत बरी। पत्रकार सोमारू नाग को फर्जी मामला बनाकर बस्तर आईजी शिव राम प्रसाद कल्लूरी ने था फँसाया। एक साल पहले किया था कल्लूरी ने फर्जी मामले में गिरफ्तार। केंद्रीय जेल जगदलपुर में थे एक साल से सोमारू नाग। कर रहे थे न्याय का इन्तजार।

IAS Amit Kataria ने Journalist Kamal Shukla को धमकाया- ‘दो कौड़ी का आदमी, साले, कीड़े, चूजे, मच्छर, मक्खी… तुझे तो ऐसे ही मसल दूंगा’ (सुनें टेप)

अमित कटारिया, कलक्टर, बस्तर (फोटो सौजन्य : फेसबुक)

छत्तीसगढ़ में तैनात आईएएस और आईपीएस विवादों में रहते हैं. दमन करने से लेकर धमकाने तक के लिए. बस्तर जिले के कलक्टर अमित कटारिया काला चश्मा पहनकर पीएम नरेंद्र मोदी से मिलने के मामले में कुख्यात रहे तो अब यही आईएएस एक पत्रकार बुरी तरह और गंदी भाषा में धमकाने के लिए चर्चा में है. दरअसल जेएनयू से कई प्रोफेसर बस्तर के एक गांव में गरीबों से मिलने और सामाजिक अध्ययन करने गए थे. उन्होंने बातचीत में ग्रामीणों को नक्सलियों और राज्य की पुलिस दोनों से दूर रहकर खुद का जीवन बेहतर करने की सलाह दी थी. मौके की ताक में बैठे रहने वाली रमन सरकार के कारिंदों ने गांव वालों को चढ़ाया, भड़काया और उनसे इन प्रोफेसरों के खिलाफ शिकायत ले ली कि ये लोग ग्रामीणों को भड़का रहे थे.