पत्रकारों और गैर पत्रकारों को मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ देने में सुप्रीमकोर्ट के आदेश को भी ठेंगा दिखा रहे महाराष्ट्र के अखबार मालिकों के बारे में सरकारी लापरवाही की एक और दास्ताँ सामने आई है। महाराष्ट में पूर्व की सरकार ने अखबार मालिकों को लाभ देने के तहत कौड़ियों के दाम पर बेशकीमती जमीन …
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आर्थिक सुधारों के ढाई दशक में कृषि क्षेत्र ही सर्वाधिक उपेक्षित हुआ है : अखिलेन्द्र
: भूमि अधिग्रहण अध्यादेश नहीं समग्र भूमि उपयोग नीति की देश को जरूरत : आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने वाराणसी में आयोजित स्वराज्य संवाद को बतौर अतिथि सम्बोधित करते हुए एनडीए की मोदी सरकार द्वारा तीसरी बार भूमि अधिग्रहण संशोधन अध्यादेश लाने के फैसले की सख्त आलोचना की और इसे मोदी सरकार का लोकतंत्र विरोधी कदम कहा। उन्होंने समग्र भूमि उपयोग नीति के लिए राष्ट्रीय आयोग के गठन को देश के लिए जरुरी बताते हुए कहा कि जमीन अधिग्रहण का संपूर्ण प्रश्न जमीन के बड़े प्रश्न का महज एक हिस्सा है। 2013 का कानून पूरे मुद्दे को सरकारी और निजी एजेसियों द्वारा उद्योग और अधिसंरचना के विकास बनाम जमीन मालिकों और जमीन आश्रितों के हितों के संकीर्ण व लाक्षणिक संदर्भ में पेश करता है। 2013 का कानून बाजार की तार्किकता के बृहत दायरे के भीतर ही इसकी खोजबीन करता है।
NAPM Request to the Joint Parliamentary Committee for Compensation and Transparency in Land Bill 2015
New Delhi : Responding to the newspaper advertisements inviting submissions from the public at large on “The Right to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement (Second Amendment Bill, 2015), NAPM, an alliance of 250 plus people’s movements from across the country led by Medha Patkar has asked for extending the time for receiving inputs from public.
जल, जंगल, जमीन और जमराज
‘जमराज’ जब गाँव में पहुँचते है तो वहाँ के कुत्ते निहायत समाजवादी ढंग से उनके साथ कोई वर्गभेद किये बगैर वैसे ही दौड़ाते हैं, जैसे वे रात्रिकाल में बड़े ही खतरनाक ढंग से आम इंसान की खोज-खबर लेते हैं। बेचारे यमराज का पारंपरिक वाहन जान बचाकर कहीं भाग जाता है, कुत्ते उनके कुर्ते को चीथ डालते हैं, उनका रत्नजड़ित गदा व मुकुट धराशायी हो जाता है और इस पर भी तुर्रा यह कि एक ग्रामीण उन्हें चोर समझकर दबोच लेता है।
न्यूज चैनल के संवाद-सूत्र ने हड़पी आदिवासी बुजुर्ग की जमीन
छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के हस्तक्षेप के बाद भी धरमजयगढ़ राजस्व विभाग व जिला प्रशासन का सुस्त रवैया आदिवासी परिवार के लिए परेशानी कारण बना हुआ है। बताया गया है कि ईटीवी न्यूज के इनफार्मर ने एक आदिवासी परिवार की जमीन हड़प ली है और पीड़ित दर ब दर न्याय की गुहार लगाता डोल रहा है।
भूमि अधिग्रहण नहीं, देश को भूमि उपयोग नीति की जरूरत
आजादी के बाद से ही देश में अंग्रेजों के बनाए 1894 के भूमि अधिग्रहण कानून को लेकर बहस चल रही है लेकिन नई आर्थिक-औद्योगिक नीतियों के लागू होने के बाद जब देश में बड़े पैमाने पर कारपोरेट हितों में स्पेशल इकनॉमिक जोन, खनिज सम्पदा का दोहन और रियलस्टेट के लिए किसानों की जमीन हड़पने का अभियान प्रारम्भ हुआ तो जगह-जगह जमीन की रक्षा के लिए किसानों और आदिवासियों के तीखे संघर्ष शुरू हुए। जिन्होंने 1894 के कानून में मौजूद राज्य के ‘‘सर्वोपरि अधिकार‘‘ को चुनौती दी।
No to Land Acquisition! We Demand Land Rights!!
New Delhi : The Modi Government has once again proven that it is indeed anti-farmer-labourer and pro-corporates by promulgating the land ordinance 2015 on the eve of 3rd April. Turning a complete blind eye to the nation-wide fierce opposition to the ordinance, neither did the government hold any dialogue with people’s movements and affected farmers / labourers groups nor did it pay any attention to the political parties that have opposed this draconian ordinance. With the single-minded agenda of kneeling before the corporates while crores of our citizens are exploited, displaced, disposed and deprived, this government has shown that it simply does not care for the poor and toiling people, for our land, agriculture and nature.
‘टाइम्स नाऊ’ चैनल का बॉयकाट होगा, सोशल एक्टिविस्टस की तरफ से अरनब गोस्वामी को खुला पत्र
Dear Mr Arnab Goswami,
We, the undersigned, who have on many occasions participated in the 9:00 p.m. News Hour programme on Times Now, anchored by you, wish to raise concerns about the shrinking space in this programme for reasoned debate and the manner in which it has been used to demonize people’s movements and civil liberties activists.
यूपी में जंगलराज : MBSC ग्रुप के बिल्डर को अपनी जमीन औने-पौने दाम में नहीं बेचने पर जान के लाले
अमिताभ ठाकुर
(आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने अपनी जनपक्षधरता और जनसक्रियता से उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में एक क्रांति ला दी है. आमतौर पर यूपी पुलिस विभाग के अफसर सत्ता के दबाव और सत्ता के इशारे पर संचालित होते हैं. लेकिन अमिताभ ठाकुर किसी भी जेनुइन मामले को बिना भय उठाते हैं भले ही उससे सीधे सीधे सत्ता के आका लोग निशाने पर आते हों. ऐसे ही एक मामले में आज अमिताभ ठाकुर ने पीड़ित व्यक्ति को न्याय दिलाने के लिए मुहिम शुरू की. पढ़िए इस नए प्रकरण की कहानी उन्हीं की जुबानी. -एडिटर, भड़ास4मीडिया)
आज मैंने एसएसपी, लखनऊ यशस्वी यादव से मुलाकात कर मिर्जापुर, थाना गोसाईंगंज में एमबीएससी ग्रुप के लोगों के आपराधिक कृत्यों तथा उस गांव के पोसलाल पुत्र परीदीन की जमीन को जबरदस्ती खरीदने के प्रयास के बारे में शिकायत दिया. एसएसपी ने एसओ गोसाईंगंज को तत्काल मामले में एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए. शिकायत के अनुसार एमबीएससी ग्रुप ने बीएससी होम्स नाम से लगभग 170 लोगों से बुकिंग के नाम पर करोड़ो रूपये ले भी लिए हैं जबकि अभी उसके पास न तो आवश्यक जमीन है और न ही उसका नक्शा एलडीए से स्वीकृत है.
प्रशासन ने अभय छजलानी से जमीन छीनी
‘नईदुनिया’ के मालिक होने के कारण जिस अभय छजलानी (उर्फ़ अब्बूजी’) की इंदौर और मध्यप्रदेश में तूती बोलती थी, अब वे ही नई-नई परेशानियों में घिरते जा रहे हैं. इंदौर जिला प्रशासन ने अभय छजलानी की मिल्कियत वाले टेबल टेनिस ट्रस्ट के ‘अभय खेल प्रशाल’ को जमीन नपती में सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे का दोषी पाया और करीब आधा एकड़ से ज्यादा जमीन छीन ली.
हिन्दी दैनिक जन माध्यम के मुख्य सम्पादक और पूर्व आईपीएस मंजूर अहमद का फर्जीवाड़ा
: जन माध्यम के तीन संस्करण चलाते हैं मंजूर अहमद : दूसरे की जमीन को अपने गुर्गे के जरिए बेचा, खुद बने गवाह : ताला तोड़कर अपने पुत्र के मकान पर भी कराया कब्जा, पुलिस नहीं कर रही मुकदमा दर्ज : लखनऊ, पटना व मेरठ से प्रकाशित होने वाले हिन्दी दैनिक समाचार पत्र जन माध्यम मुख्य सम्पादक, 1967 बैच के सेवानिवृत्त आई0पी0एस0 अधिकारी एवं लखनऊ के पूर्व मेयर एवं विधायक प्रत्याशी प्रो0 मंजूर अहमद पर अपने गुर्गे के जरिए दूसरे की जमीन को बेचने व खुद गवाह बनने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। प्रो0 मंजूर अहमद के इस फर्जीवाड़े का खुलासा खुद उनके पुत्र जमाल अहमद ने किया।