एक मां की कहानी, उन्हीं की जुबानी… मैं माया देवी. मेरी उम्र 92 साल है. मैं काशी बनारस की रहने वाली हूं. कहते हैं, काशी में मरने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. भगवान से पूछती हूं, राधा-माधव, कितने बार मुझे मरना होगा कि मोक्ष मिल जाए! जानते हैं, क्यों? क्यों कि मैं रोज हर-पल मर रही हूं। खुद का घर रहते हुए इन दिनों मेरा ठिकाना किराये का एक कमरा है। मैं चल नहीं सकती क्योंकि मेरा पैर मेरा साथ नहीं दे रहे। जानना चाहेंगे क्यों? क्योंकि तीन महीने पहले मेरी बहू कंचन ने मुझे जानवरों की तरहत पीटा, सीढ़ियों से ढकेल दिया। मर जाती तो अच्छा था। पर मौत ने दगा दिया। शायद जिदंगी मुझे और दुःख देना चाहती है।
माया देवी 92 साल की उम्र में अपनी बहू से पीड़ित है। बार-बार कानून और न्याय की चौखट पर पहुंची उनकी गुहार अनसुनी कर दी जाती रही। शायद इसलिए कि सत्ता बदली है, व्यवस्था नहीं।