भिंडरावाले और गोडसे के कितने पूजने वालों को देशद्रोह में जेल भेजा!

जेएनयू प्रकरण पर कुछ सवाल हैं जो मुंह बाए जवाब मांग रहे हैं। मालूम है कि जिम्मेदार लोग जवाब नहीं देंगे, फिर भी। लेकिन उससे पहले नोट कर लें-

1. देश को बर्बाद करने की कोई भी आवाज़, कोई नारा मंजूर नहीं। जो भी गुनाहगार हो कानून उसे माकूल सजा देगा।
2. कोई माई का लाल या कोई सिरफिरा संगठन न देश के टुकड़े कर सकता है न बर्बाद कर सकता है। जो ऐसी बात भी करेगा वो यकीनन “देशद्रोही” है।
3. किसी नामाकूल से या देशभक्ति के किसी ठेकेदार से कोई सर्टिफिकेट नहीं चाहिए।
4. कोई भी किसी भी मुद्दे पर असहमत है तो ये उसका हक़ है। हां कोई भी। कोई माई का लाल असहमति को “देशद्रोह” कहता है तो ये उसकी समझ है।

योगेंद्र यादव ने पूछा- स्वराज का मंत्र लेकर चली इस यात्रा का ‘स्व’ कहीं एक व्यक्ति तक सिमट कर तो नहीं रह जायेगा?

Yogendra Yadav : आज एक सवाल आपसे… अमूमन अपने लेख के जरिये मैं किसी सवाल का जवाब देने की कोशिश करता हूँ। लेकिन आज यह टेक छोड़ते हुए मैं ही आपसे एक सवाल पूछना चाहता हूँ। देश बदलने की जो यात्रा आज से चार साल पहले शुरू हुई थी उसकी दिशा अब क्या हो? पिछले दिनों की घटनाओं ने अब इस सवाल को सार्वजनिक कर दिया है। जैसा मीडिया अक्सर करता है, इस सवाल को व्यक्तियों के चश्मे से देखा जा रहा है। देश के सामने पेश एक बड़ी दुविधा को तीन लोगो के झगड़े या अहम की लड़ाई के तौर पर पेश किया जा रहा है। ऊपर से स्टिंग का तड़का लगाकर परोसा जा रहा है। कोई चस्का ले रहा है, कोई छी-छी कर रहा है तो कोई चुपचाप अपने सपनों के टूटने पर रो रहा है। बड़ा सवाल सबकी नज़र से ओझल हो रहा है।

अरविन्द ‘आप’ को क्या हो गया ? – अब राकेश पारिख के निशाने पर केजरीवाल

AC कमरों और गाडियों का आराम छोड़कर जंतर मंतर पर बिना गद्दे और तकिये के बिताये वो दिन सचमुच यादगार है. ये वो दिन थे जब नींद 16 घंटे के बजाय 70 घंटे काम करने के बाद आती.