अखबारों से ज्ञात हुआ कि आज मेरा स्थानांतरण कर ‘प्रतीक्षा’ में रख दिया गया। किसी विभाग से किसी प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी को हटाकर ‘प्रतीक्षा’ में तभी डाला जाना चाहिए, जब उस विभाग में कोई ‘घोटाला’ या कदाचार किया गया हो, तथा उस अधिकारी को निष्पक्ष जांच हेतु हटाना जरूरी हो। आज कई चेतावनी, धमकियां मिलीं। लगता है कि अब प्रदेश ही छोड़ना पड़ जायेगा या फिर छिपे-छिपे फिरना पड़ेगा। अंग्रेजी उपनिवेशवाद की याद आती है। आपातकाल जैसा लगता है।
Tag: spsingh
क्या राजनीति का अर्थ केवल भूमाफिया, चोर- उच्चकों और फर्जी डिग्री धारकों से है!
आज जब मैं अपनी स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति पर आये मित्रों के मत पर अपनी सफाई पेश कर रहा हूँ, तो कबीर की याद आ रही है और ” झीनी चादर ” अपने जीवन में ओढ़ने वाले सभी मित्रों को नमन कर सफाई देने का मन है। मैंने ३४ साल की नौकरी की है तथा इस का मतलब यह नहीं कि मैंने इतनी लम्बी सेवा घुटन या विवशता के साथ की। यथा शक्ति, मनोयोग से जिन पदों पर रहा, काम किया।
आप बताइए, क्या मेरे दिमाग का स्क्रू ढीला है ?
मैंने कुछ सामाजिक मुद्दे ही तो उठाये हैं, जिसको व्यापक जनसमर्थन मिला है। क्या यह मेरा पागलपन है ? आप बताइए क्या मेरे दिमाग का स्क्रू ढीला है ? किसी ने यू ट्यूब पर विडियो पोस्ट किया है, जिसमें मेरा स्क्रू ढीला बताया है। इसमें तीन बाते हैं –
जरा सुनो तो सर जी, हमे तो टीवी पर आने का चस्का है, मार ही डालोगे क्या !
हम पर कार्रवाई तो जरूर करें सर जी.. हम तैयार हैं, परन्तु ये तो बता दें कि 2011 के पीसीएस अंतिम परिणाम की संलग्न सूची में कुल चयनित 86 एसडीएम में 54 एक ही जाति के कैसे आ गए ? अनिल यादव पर करम और हम पर सितम, रहने दे अब थोडा सा धरम, सर जी ! हम तो सरकार के एक दीगर कारिन्दा है। हमें तो कभी भी कुचल सकते हो। चलो, हमे तो टीवी पर आने का चस्का है, मार ही डालोगे क्या।