नेपाल में एक पार्टी के चुनाव प्रचार में जुटी है ‘न्यूज इण्डिया’ की यह गाड़ी!

काठमाण्डू । ‘न्यूज इण्डिया’ की स्टीकर लगी हुई एक स्कारपियो की नेपाल में काफी चर्चा हो रही है। ऐसा नहीं है कि ‘न्यूज इण्डिया’ ने कोई बडी खबर ब्रेक की हो जिसके कराण उसकी चर्चा हो रही हो। यह चर्चा नकारात्मक तौर पर हो रही है। ‘न्यूज इण्डिया’ की स्टीकर लगी हुई महिन्द्रा स्कारपियो RJ 14 UD 0607 नम्बर की ये गाड़ी नेपाल में चुनाव प्रचार प्रसार में जुटी हुई है। नंबर से जाहिर है कि यह गाड़ी भारत के राजस्थान प्रांत की है।

नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड के माफीनामे को मोदी ने कबूल कर लिया है!

Anand Swaroop Verma :  आज के हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित प्रशांत झा की रिपोर्ट से पता चला कि नेपाल के माओवादी नेता और प्रधान मंत्री प्रचंड ने अपने विशेष दूत और गृहमंत्री बिमलेन्द्र निधि से नरेंद्र मोदी के पास सन्देश भेजा है कि अतीत में उनसे कई गलतियां हुईं क्योंकि उन्हें खुली राजनीति का अनुभव नहीं था, और अब वह इस बात का ध्यान रखेंगे कि भविष्य में ऐसा न हो और भारत के साथ अच्छे सम्बन्ध बने रहें.

भारत सरकार झूठे सम्मान का विषय न बना कर नेपाल के ‘अनऑफीसियल ब्लाकेड’ को फ़ौरन ख़त्म करे : आनंद स्वरूप वर्मा

मित्रों,

पिछले लगभग दो माह से, जब से नए संविधान की घोषणा हुई, भारत द्वारा लागू की गयी आर्थिक नाकाबंदी के कारण पड़ोसी देश नेपाल जबरदस्त संकट के दौर से गुजर रहा है. भारत सरकार का कहना है कि उसने किसी तरह की नाकाबंदी नहीं की है और तराई क्षेत्र में मधेसी आंदोलकारियों ने सीमा से नेपाल के प्रवेश मार्गों पर अवरोध पैदा किये हैं जिससे भारत से कोई आपूर्ति संभव नहीं हो पा रही है. इसमें कोई संदेह नहीं कि मधेस की जनता नए संविधान से असंतुष्ट है और वह पिछले तीन महीनों से आन्दोलन कर रही है—उसे लगता है कि उसके साथ अन्याय हुआ है और उसकी मागों को संविधान में संबोधित नहीं किया गया है. नेपाल के मौजूदा नेतृत्व से नाराज भारत सरकार ने मधेसी जनता के आन्दोलन की आड़ ले कर नेपाल को सबक सिखाने के मकसद से पहले तो प्रत्यक्ष तौर पर और फिर अप्रत्यक्ष तौर पर नाकाबंदी की है.

अखबार में छपे लेख पर भारत की आपत्ति के बाद लेखक प्रतीक प्रधान को नेपाली पीएम के प्रेस सलाहकार पद से इस्तीफा देना पड़ा

Abhishek Srivastava : बिहार चुनाव और आरक्षण पर बहस की आड़ में भारत सरकार ने चुपके से नेपाल में आर्थिक नाकाबंदी लगा दी है। नेपाल की वेबसाइटों और चैनलों पर लगातार यह ख़बर चल रही है कि किस तरह  भारत सरकार ने अपनी मर्जी का संविधान न बनने की खीझ में गाडि़यों को आज सुबह से ही सीमा पर रोकना शुरू कर दिया है और बिना किसी औपचारिक घोषणा के नेपाल में तेल की सप्‍लाई रोक दी है।

भारतीय मीडिया की नेपाल में किरकिरी

काठमांडू ! भारतीय मीडिया का एक वर्ग गलत कारणों से नेपाल में सुर्खियां बटोर रहा है। भारतीय मीडिया, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर सनसनी फैलाने के आरोप लगाए गए हैं, वह भी ऐसे समय में जब नेपाल भूकंप की मार से उबर रहा है। नेपाल की प्रोबायोटेक इंडस्ट्रीज के उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी दिनेश गौतम ने आईएएनएस को बताया, “नेपाल में भारतीय पत्रकारों के प्रति लोगों में बहुत नाराजगी है, क्योंकि भारतीय पत्रकारों ने भूकंप त्रासदी की रपट तैयार करने में पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया।” 

खबरों में फिर भूंकप, दो बार तेज झटके, सहम उठा उत्तर भारत, फिर केंद्र नेपाल रहा

नई दिल्ली : मंगलवार को पूरे उत्तर भारत में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। भूकंप दोपहर 12:38 बजे आया। इसके बाद, एक बजकर 11 मिनट पर भी झटके महसूस किए गए। इसका प्रभाव दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश में भी महसूस किया गया। 

नेपाल भूकंप पर भारतीय मीडिया की कवरेज सराहनीय : एनके सिंह

ब्रॉडकास्टर्स एडिटर्स एसोसिएशन (बीईए) ने कहा है कि नेपाल में भूकंप की कवरेज के दौरान भारतीय मीडिया से कुछ ग़लतियां हुई होंगी, लेकिन कुल मिलाकर उसने सराहनीय काम किया है.

नेपाल के भूकंप पर भारतीय मीडिया का मृत्यु-प्रहसन, सोशल मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया

नेपाल के भूकंप पर ख़बरों को भारतीय टेलीविज़न चैनलों ने जिस तरह पेश किया है, उससे सोशल मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया है। रवीश कुमार लिखते हैं – ”नेपाल में ट्वीटर पर #gohomeindianmedia ट्रेंड तो कर ही रहा था और उसकी प्रतिक्रिया में भारत में भी ट्रेंड करने लगा है। मुझे इसकी उम्मीद बिल्कुल नहीं थी मगर कुछ तो था जो असहज कर रहा था। टीवी कम देखने की आदत के कारण मीडिया के कवरेज पर टिप्पणी करना तो ठीक नहीं रहेगा, लेकिन जितना भी देखा उससे यही लगा कि कई ख़बरों में सूचना देने की जगह प्रोपेगैंडा ज्यादा हो रहा है। ऐसा लग रहा था कि भूकंप भारत में आया है और वहां जो कुछ हो रहा है वो सिर्फ भारत ही कर रहा है। कई लोग यह सवाल करते थक गए कि भारत में जहां आया है वहां भारत नहीं है। उन जगहों की उन मंत्रियों के हैंडल पर फोटो ट्वीट नहीं है जो नेपाल से लौटने वाले हर जहाज़ की तस्वीर को रीट्विट कर रहे थे। फिर भी ट्वीटर के इस ट्रेंड को लेकर उत्साहित होने से पहले वही गलती नहीं करनी चाहिए जो मीडिया के कुछ हिस्से से हो गई है।”

भूकम्‍प की रिपोर्टिंग को लेकर नेपाल के पत्रकार परेशान

आज तड़के नेपाल के एक पत्रकार मित्र से बात हुई। भूकम्‍प की रिपोर्टिंग को लेकर वे बहुत परेशान थे। कह रहे थे कि नेपाल के पत्रकारों के पास संसाधन नहीं हैं कि वे दुर्गम इलाकों में जाकर रिपोर्ट कर सकें जबकि भारतीय वायुसेना के माध्‍यम से घूमकर खबर देने वाले भारतीय पत्रकार भारत सरकार के जनसंपर्क विभाग की तरह काम कर रहे हैं। 

प्रशंसनीय : नेपाल में रिपोर्टिंग छोड़ घायल संध्या के सिर की सर्जरी करने लगे डॉ. संजय गुप्ता

सीएनएन के पत्रकार डॉ.संजय गुप्ता न्यूरोसर्जन हैं। वह गत शनिवार को नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप के बाद तबाही की रिपोर्टिंग करने गए थे लेकिन उन्हें 15 साल की संध्या के ब्रेन का ऑपरेशन करना पड़ा, जिसके सिर पर दीवार गिर गई थी। सर्जरी कामयाब भी रही। इसके पहले वह 2003 में इराक़ में आपातकालीन सर्जरी कर चुके हैं।

अमर उजाला वाले मूर्ख हैं या गधे? जापान के वीडियो को नेपाल का बताकर दिखा रहे हैं

अमर उजाला अखबार की अपनी एक वेबसाइट है, अमर उजाला डाट काम के नाम से. इस पर एक वीडियो दिखाया जा रहा है. भूकंप को लेकर. एक स्वीमिंग पुल का वीडियो है. भूकंप आने पर शांत स्वीमिंग पुल किस तरह अशांत हो जाता है और पानी इधर उधर उछलने लुढ़कने और बहने लगता है. यह वीडियो सोशल मीडिया और ह्वाट्सअप पर खूब शेयर किया जा रहा है. लेकिन कोई यह नहीं बता रहा कि यह वीडियो कब का है, कहां का है.

भारतीय मीडिया ने नेपाल में उतारी रिपोर्टरों की फौज, वे भी वहां के गंभीर हालात से हो रहे दो-चार

भारतीय न्यूज चैनलों और अखबारों ने बड़ी संख्या में अपने रिपोर्टरों की फौज नेपाल के मोरचे पर तैनात कर दी है। उन्हें प्रतिकूल हालात में प्राकृतिक आपदा से जूझते हुए सूचनाएं लगातार अपडेट करनी पड़ रही हैं। बीती आधी रात बाद तक भारतीय पत्रकार नेपाल की पल पल की स्थितियों पर नजर रखे रहे। वायु सेवाएं असामान्य होने, होटल-बाजार बंद होने, संचार और बिजली सेवाएं ध्वस्त होने का खामियाजा नेपाल में खबरें बटोर रहे पत्रकारों को भी उठाना पड़ रहा है. इस प्राकृतिक आपात काल को इस नजरिए से भी सोशल मीडिया देख रहा है कि भारतीय किसानों पर प्रकृति की मार, गजेंद्र सिंह आत्महत्याकांड और आम आदमी पार्टी की करतूतों, भूमि अधिग्रहण अध्यादेश जैसे ज्वलंत मसलों पर मीडिया गतिविधियां आश्चर्यजनक ढंग से अचानक तटस्थ हो गई हैं।