पत्रकार विनय सिंह को टोटल टीवी ने दी बड़ी ज़िम्मेदारी

टोटल टीवी ने पत्रकार विनय सिंह को छत्तीसगढ़ ब्यूरो की जिम्मेदारी दी है। खबर है कि टोटल टीवी छत्तीसगढ़ का भी रीजनल चैनल शुरू  करने का मन बना रहा है। फिलहाल टोटल टीवी दिल्ली- एनसीआर समेत हरियाणा की खबरों को लेकर अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। विनय सिंह पिछले सात सालों से टोटल टीवी के लिए …

छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता की आड़ में कैसा खेल, बिना वेतन जिलों में काम कर रहे पत्रकार

चैनल की माइक आईडी की लग रही बोली, वसूली और धमकी का चल रहा खेल, अनशन-शिकायतों का लगा अंबार, सोशल नेटवर्क का बेजोड़ इस्तेमाल, पीएमओ तक हो रही शिकायत

हरिभूमि ने फ्रंट पेज पर प्रकाशित किया अखबार अभिकर्ता का स्मृति शेष

रायपुर। प्रिंट मीडिया के इतिहास में संभवत: ऐसा पहली बार हुआ है जब अखबार के एक मामूली एजेंट के निधन की खबर व स्मृति शेष में एक लंबा आलेख किसी समाचार पत्र ने मुख्य पृष्ठ पर प्रकाशित किया है। छह दशक से रायपुर में पाठक और समाचार पत्र का सेतु रहे वरिष्ठ अभिकर्ता रामप्रसाद यादव का 21 सितंबर को आकस्मिक हृदयघात से निधन हो गया। उनके निधन की खबर छत्तीसगढ़ के अन्य अखबारों ने एक छोटी सी न्यूज के रूप में प्रकाशित की। वहीं हरिभूमि के प्रबंध संपादक डा. हिमांशु द्विवेदी ने रामप्रसाद यादव की स्मृति में एक अग्रलेख लिखा जो हरिभूमि के फ्रंट पेज पर प्रकाशित हुआ। रामप्रसाद यादव रायपुर के पांच दशक की पत्रकारिता और उसके बदलावों के साक्षी थे। उनकी स्मृति में लिखा डा. हिमांशु द्विवेदी का आलेख….

राजकुमार ग्वालानी चैनल इंडिया के प्रबंध संपादक बने, हरिभूमि से दिया इस्तीफा

राजधानी रायपुर से प्रकाशित सांध्य दैनिक चैनल इंडिया में छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार ग्वालानी ने प्रबंध संपादक के रूप में अपनी नई पारी की शुरुआत की है। इससे पहले वे दैनिक हरिभूमि रायपुर में वरिष्ठ पत्रकार के रूप में पिछले सात सालों से काम कर रहे थे। 

हर बार नया अर्थ देते हैं उद्भ्रांत – जयप्रकाश मानस

विद्वान समीक्षक और लेखक डॉ. सुशील त्रिवेदी ने अपने प्रमुख समीक्षात्मक आलेख में कहा कि उद्भ्रांत हमारे समय के श्वेत-श्याम को पौराणिक मिथकों और प्रतीकों में कहने वाले बहुआयामी कवि हैं और उनकी कविताएँ भी इतनी बहुआयामी कि हर बार नया अर्थ देती हैं । प्रसंग था – रायपुर में संपन्न हिंदी के वरिष्ठ कवि उद्भ्रांत का एकल कविता पाठ, समीक्षा गोष्ठी और सम्मान समारोह ।

काव्यपाठ करते कवि उद्भ्रांत

पत्रकारों के खिलाफ बेखौफ होते जा रहे वर्दी वाले गुंडे, फोटो जर्नलिस्ट को थाने लेजाकर पीटा

जगदलपुर : रायपुर से प्रकाशित एक हिंदी दैनिक के फोटो जर्नलिस्ट अमन दीप ओमी से सोमवार रात 11 बजे पुलिस ने मारपीट की तथा थाने में बैठा दिया। वह पुलिस द्वारा एक बुजुर्ग ड्राइवर की पिटाई करने के दौरान तस्वीर ले रहा था। रात में हाता मैदान के पास एक ट्रक व कार चालक के मध्य ओवर टेक करने को लेकर हुए विवाद के बाद बोधघाट व कोतवाली टाउन मोबाइल वहां पहुंची थी। पुलिसकर्मी बुजुर्ग ड्राइवर पर शराब पीने की बात कहते मारपीट कर रहे थे। इसी दौरान फोटो जर्नलिस्ट अमनदीप वहां पहुंचे और तस्वीरें ले रहे थे। इस दौरान वहां मौजूद एक उप निरीक्षक ने उनसे गाली-गलौज कर मारपीट की। इसके बाद उसे कोतवाली थाने में लाकर बिठा दिया गया। थाने के भीतर एक प्रधान आरक्षक ने उसे बेल्ट से मारा। वहां मौजूद एएसआई साहू ने धक्कामुक्की की। 

ऐसी ही करतूतों के कारण मीडिया को कहा जाता है प्रेस्टीट्यूट

प्रधानमंत्री को खुश करने के लिए राज्य सरकार ने कलेक्टर को नोटिस दिया और राज्य सरकार को खुश करने के लिए एक अखबार ने अमित कटारिया के खिलाफ पत्नी को जिन्दल का पायलट बनाने की खबर छाप दी। और खूब प्रमुखता से रंग-रोगन व फोटो के साथ छापी गई। अखबार लिखता है- ‘सलमान स्टाइल में प्रधानमंत्री की अगवानी करने के बाद सुर्खियों में आए जगदलपुर कलक्टर अमित कटारिया के बारे में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।’

स्वामी विवेकानंद के रायपुर में डेढ़ वर्ष

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ इस बात का गौरव अनुभव करता है कि स्वामी विवेकानंद ने यहां डेढ़ वर्ष से अधिक का समय व्यतीत किया. हालांकि जिस कालखंड में उन्होंने अपने जीवन के महत्वपूर्ण समय व्यतीत किये तब वे स्वामी विवेकानंद नहीं थे बल्कि किशोरवय के नरेन्द्रनाथ दत्त थे जो अपने परिवार के साथ रायपुर आये थे. यहां रहते हुये उनके भीतर जो संस्कार उत्पन्न हुये और उनके ज्ञान का लोहा माना गया जिसने बाद में उन्हें स्वामी विवेकानंद के रूप में संसार में प्रतिष्ठापित किया. यह हम सबके लिये गौरव की बात है. 1877 ई. में लगभग 14 वर्ष की आयु में कलकत्ता से रायपुर के लिये आना था तब आज की तरह सीधी रेललाईन सेवा उपलब्ध नहीं थी और तब छत्तीसगढ़ स्वतंत्र राज्य भी नहीं था. छत्तीसगढ़ तब मध्यप्रदेश का एक विशिष्ट अंचल था जिसके कारण मध्यप्रदेश की विशिष्ट पहचान हुआ करती थी. उस समय रेलगाड़ी कलकत्ता से इलाहाबाद, जबलपुर, भुसावल होते हुए बम्बई जाती थी। उधर नागपुर भुसावल से जुड़ा हुआ था, तब नागपुर से इटारसी होकर दिल्ली जाने वाली रेललाइन भी नहीं बनी थी। नरेन्द्रनाथ जिन्हें बाद में संसार ने एक आलौकिक युवा के रूप में जाना और वे हमेशा के लिये स्वामी विवेकानंद हो गये, कि स्मृति हमारे लिये धरोहर है. ऐसे महान व्यक्तित्व का किशोरावस्था में समय गुजारना इतिहास की दूष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है.