ओम थानवी के अवदानों को भुलाया नहीं जा सकता

जनसत्ता के प्रधान संपादक ओम थानवी ढाई दशकों के बाद सेवानिवृत्त हुए. मेरा मानना है कि उनका अनुभव नवांकुर पत्रकारों के लिए एक प्रेरक किस्सा होगा, अगर आप चाहे तो ? नई पीढ़ी के पत्रकारों को उनके अनुभवों का लाभ मिलना चाहिए। 

सम्पादकजी क्या वाकई इतनी महिलाओं के साथ सोए भी होंगे या सिर्फ बहबही में झूठ बोले!

परसों पूरे देश में राष्ट्रीय शोक था। संयोग से परसों ही साहित्य के राष्ट्रीय धरोहर नामवर सिंह जी का जन्मदिन भी था। राजकमल प्रकाशन द्वारा इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में डॉ नामवर सिंह के जन्मदिन को डॉ कलाम के शोक से बड़ा साबित करते हुए एक रंगीन और तरल-गरल पार्टी रख दिया गया। कई पहुंचे, क्या पत्रकार एवं क्या साहित्यकार। शायद नामवर जी नहीं पहुंचे या पहुंचे भी हों तो थोड़े समय के लिए ही पहुचे हों। 

बैंड, बाजा और मोदी : ओम थानवी

केंद्र सरकार के पहले वर्ष पर ब्रिटेन से प्रकाशित मशहूर पत्रिका ‘द इकोनॉमिस्ट’ का क्या कहना है? कि देश में बदलाव का जबरदस्त मौका है, पर मोदी इसके लिए तैयार नहीं। कि मोदी सरकार एक अकेले शख्स का बैंड-बाजा है। मोदी इस तरह काम करते हैं मानो छोटे-छोटे सुधारों से बड़े बदलाव का जलवा हासिल कर लेंगे। मगर यह मुमकिन नहीं है।

अपने ही समूह के अखबार के बारे में लिखना : ओम थानवी

देश का सबसे अच्छा अंगरेजी अखबार कौन-सा है? ‘हिन्दू’ और ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में मेरे लिए चुनाव थोड़ा मुश्किल होता था, अब नहीं है। मेरी नजर में इंडियन एक्सप्रेस अब अव्वल ठहरता है – उसका बौद्धिक कलेवर अचानक निखरा है।

मुकेश भारद्वाज होंगे जनसत्ता के अगले कार्यकारी संपादक

जनसत्ता के अगले कार्यकारी संपादक मुकेश भारद्वाज होंगे। वह ओम थानवी का स्थान लेंगे। थानवी जी लगभग तीन माह बाद सेवानिवृत्त हो रहे हैं। मुकेश के मनोनयन की सूचना का ई-मेल आ चुका है। मेल जनसत्ता एवं इंडियन एक्सप्रेस के बोर्ड अध्यक्ष विवेक गोयनका ने प्रेषित किया है। मुकेश भारद्वाज अभी जनसत्ता के चंडीगढ़ क्षेत्र के संपादक हैं। 

हम ‘रभीश फ्रेंडवा’ को कंजूस इसलिए कहता हूँ : ओम थानवी

संस्कृतिकर्मी और पूर्व उच्चाधिकारी अमिताभ पांडेय से मैं पूरी तरह सहमत हूँ कि रवीश कुमार का प्राइम टाइम अंगरेजी चैनलों के किसी भी कार्यक्रम पर भारी पड़ेगा; कि किसी ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल जैसे आयोजनों में उनके कार्यक्रम में शिरकत की हो तो पाया होगा कि लोकप्रियता में भी रवीश अर्णब, राजदीप, करण या राहुल किसी भी ‘स्टार’ से बड़े स्टार ठहरते हैं।

‘एडिटर’ सांघवी पर ‘संपादक’ ओम थानवी की टिप्पणी और मोदीजी का सूट, खूब निकाली भड़ास फेसबुकियों ने

जनसत्ता के संपादक ओम थानवी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दस लखिया सूट और एक वरिष्ठ पत्रकार के भाषा प्रेम पर गहरी चोट कर सीधे सीधे शब्दों में कई मायने समझा दिए। और उसी बहाने पीएम पर भी चुटीले शब्दों को बारिश हुई। ओम थानवी लिखते हैं – ” इतवार को हिंदुस्तान टाइम्स के साथ बंटने वाली पतरी ‘ब्रंच’ में वीर पत्रकार सांघवी लिखते हैं कि मोदीजी का वह नामधारी सूट दस लाख का नहीं था। कितने का था, उन्हें पता नहीं। कोई बात नहीं। लेकिन आगे वे लिखते हैं कि सूट पर नाम हिंदी में कढ़ा होता तो इतनी नुक्ताचीनी शायद नहीं होती।”