शुक्र है, शशि थरूर साहब आप कामरेड न हुए वरना टीआरपीखोर कविता कृष्णन अब तक चुप न बैठती

Samar Anarya : कामरेडों के खिलाफ बिना किसी पीड़िता या पुलिस शिकायत के बलात्कार का किस्सा बना देने वाली श्रीमती कविता कृष्णन को सुनंदा पुष्कर की हत्या के मामले में दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज की गयी एफआईआर का नोटिस लेकर एक ट्वीट तक करने की फुर्सत नहीं मिली है. शुक्र है, शशि थरूर साहब आप कामरेड न हुए वरना…. पूछिये आपकी लिस्ट में हो तो कामरेडों की इस सुपारी किलर से https://www.facebook.com/kavita.krishnan (मेरे ऊपर मानहानि का मुकदमा कर सकती है, स्वागत है). मधु किश्वर की उस चेली को, टीआरपीखोर को, खुर्शीद मामले की साजिशकर्ता को मैं वही कहता हूँ जो वह है. मधु किश्वर का बनवाया वीडिओ बंटवाया था इस टीआरपीखोर ने. ये देखें: http://www.countercurrents.org/shukla130814.htm

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कविता कृष्णन मार्का नारीवाद : यौन उत्पीड़न की शिकार पीड़ित छात्रा अगर शिकायत करे तो मार के उसका हाथ तोड़ दो

Samar Anarya : कविता कृष्णन ने सिखाया अपने संगठन को नया नारीवाद। यौन उत्पीड़न करो और पीड़ित शिकायत करने की हिम्मत करे तो मार के उसका हाथ तोड़ दो कि फिर कोई कभी हिम्मत न करे. यही सीख लेकर आइसा नेताओं के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत करने वाली छात्रा को आइसा कार्यकर्ताओं ने पीटा। शर्मनाक है यह. वामपंथ के नाम पर सबसे बदनुमा धब्बा। देखें खबर… http://goo.gl/yGnxtW

कथित कामरेड कविता कृष्णन : पाखंडी नारीवाद का पर्दाफाश


 

आइसा नेताओं के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत करने वाली छात्रा को आइसा कार्यकर्ताओं ने पीटा

Samar Anarya : आइसा नेताओं के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत करने वाली छात्रा को आइसा कार्यकर्ताओं ने पीटा? वह भी इतना कि लड़की ट्रामा सेंटर में भर्ती है. स्तब्ध हूँ इस खबर से. कोई सच बतायेगा? जागरण की वेबसाइट पर यह खबर अभी दिख रही है-

यौन शोषण का आरोप लगाने वाली जेएनयू छात्रा की पिटाई

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। देश के प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक छात्रा के साथ ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) के कार्यकर्ताओं द्वारा शुक्रवार देर शाम मारपीट का मामला सामने आया है। लड़की को एम्स के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है। बताया जाता है कि यह वही लड़की है, जिसने छात्र संघ पदाधिकारी अकबर चौधरी व सरफराज पर यौनशोषण का आरोप लगाया था, जिसकी जांच विश्वविद्यालय की आंतरिक समिति जेंडर सेंसटाइजेशन कमेटी अगेंस्ट सेक्सुअल हेरासमेंट में चल रही है।

आइसा के एक पदाधिकारी का कहना है कि एनएसयूआइ के कार्यकर्ताओं ने उनके कार्यकर्ता चिंटू, शहला व दो और को पीटा था। चिंटू को भी ट्रामा सेंटर ले जाया गया है। इस बीच, आइसा व एबीवीपी के कार्यकर्ता देर रात तक वसंतकुंज थाने के सामने एफआइआर के लिए डटे रहे। छात्रा के साथियों ने बताया कि जब से छात्रा ने छात्र संगठन पदाधिकारियों के ऊपर यौन शोषण का आरोप लगाया है, तभी से आइसा के कार्यकर्ता लगातार उसे परेशान कर धमकी दे रहे थे।

छेड़छाड़ करने वालों को बचाने में जुटी कविता कृष्णन की असलियत बयान की जेएनयू के सत्यप्रकाश गुप्ता ने

Satyaprakash Gupta : Please do not communalize JNU Campus for the sake of saving alleged molesters. JNU Campus is in state of turmoil because of sexual harassment of a fellow girl by JNUSU President and Joint-Secretary. Student Community is raising a series of poignant questions before AISA , a student outfit of CPI(ML),regarding molestation and this has enlivened the case of late Khurshid Anwar who was not given a chance to prove himself clean.

मदन ने कविता कृष्णन से चैट को एफबी पर डाला तो भड़क उठी पाखंडी नारीवादी, किया ब्लॉक

मदन तिवारी

Madan Tiwary : “”इश्किया कैंडिल लाईट”” आन्दोलनों का सच। तहलका हिंदी ने दिल्ली के जंतर मंतर पर “इश्किया कैंडिल लाईट” टाइप आन्दोलनो की असलियत को उजागर किया है। यह लेख अतुल चौरसिया का है। इसमें खुर्शीद अनवर मामले में कविता कृष्णन की भूमिका का भी उल्लेख है। लेकिन इसके पहले कविता कृष्णन के साथ हुई बातचीत को मेरे द्वारा जो फेसबुक पर प्रकाशित किया गया तो उस पर उसकी (कविता कृष्णन की) प्रतिक्रिया को नीचे दे रहा हूं। इस प्रतिक्रिया के बाद ही कविता ने मुझे ब्लाक कर दिया।

यशवंत पर लड़की छेड़ने का एफआईआर कराया इसीलिए वह मेरा विरोधी बन गया है : कविता कृष्णन

विवादित नारीवादी कविता कृष्णन से बिहार के गया जिले के चर्चित वकील मदन तिवारी ने फोन पर लंबी बात की.  कविता कृष्णन पर उठ रहे ढेर सारे सवालों, लग रहे ढेर सारे आरोपों को लेकर मदन तिवारी ने उनसे एक-एक कर विस्तार से बात की. पर अपने पाखंडी स्वभाव के अनुरूप कविता बात करते-करते मदन पर ही भड़क गई और उन्हें नानसेंस तक कह डाला. मतलब ये कि बातचीत करने तक का धैर्य नहीं दिखा सकी. यही हड़बड़ी वह राजनीति और नारीवाद में भी करती है जिसके कारण कई जेनुइन लोग बुरी तरह फंस गए, आत्महत्या करने को मजबूर हुए या उनकी इज्जत तार-तार कर दी गई. कविता की ओछी मानसिकता और टीआरपी खोर महिलावादी सक्रियता को लेकर एक बड़ा खेमा विरोध में खड़ा हो चुका है. इसी सबको लेकर मदन ने कविता से बातचीत की और उनका पक्ष जानना चाहा.

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कविता कृष्णन और गैंग का असल सच

Samar Anarya : तरुण तेजपाल और खुर्शीद अनवर मामले में तथ्यों की, तर्क की बात करने वाले सेकुलर रेप के समर्थक थे और शिकायतकर्ता (उनके लिए ‘पीड़िता”) का बयान अंतिम सत्य – कविता कृष्णन और गैंग। अब उनकी पार्टी के अकबर चौधरी और सरफ़राज़ हामिद के ऊपर यौन हिंसा का आरोप लगने पर श्रीमती कविता कृष्णन उनके बचाव में उतर आई हैं, ‘पीड़िता’ को शिकायतकर्ता बता रही हैं, उसके दूसरी पार्टी से जुड़े होने को लेकर उसके ऊपर अनर्गल आरोप लगा रही हैं. और उनकी समर्थक ‘नारीवादियां’ इस मुद्दे को उठा देने वालों को मानहानि की धमकी दे रही हैं. जाने दो जी, तुमसे न हो पायेगा, हो पाता तो मैंने कोई सच छोड़ा है? मुझ पर कर न पाये। जाओ, अपने सेकुलर रेपिस्टों को बचाओ, उन्हें जिन्होंने यौन हिंसा के लिए इस्तीफ़ा देकर जेएनयूएसयू की शानदार परम्परा को चार (लाल?) चाँद लगा दिए हैं. ( अविनाश पांडेय समर के फेसबुक वॉल से.)

‘तहलका’ में पेशेवर आंदोलनकारियों पर निशाना, पढ़िए कविता कृष्णन की दास्तान

‘तहलका’ मैग्जीन के नए अंक में पेशेवर आंदोलनकारियों के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली गई है. अपने सहकर्मी के यौन उत्पीड़न में जेल गए तरुण तेजपाल की इस मैग्जीन ‘तहलका’ का ध्यान अचानक आंदोलनकारियों के खिलाफ क्यों चला गया, इसे समझने के लिए बहुत ज्यादा समझ लगाने की जरूरत नहीं है. पर इस आवरण कथा में कुछ ऐसे पेशेवर आंदोलनकारियों के बारे में भी खुलासा किया गया है जो सिर्फ टीवी पर दिखने और लोगों का ध्यान खींचने के लिए बिना जाने समझे मुद्दों को उठाते और उस पर बोलते रहते हैं. ऐसे में लोगों में एक महिला आंदोलनकारी कविता कृष्णन भी हैं. इनकी पूरी दास्तान ‘तहलका’ मैग्जीन में प्रकाशित हुई है. ‘तहलका’ में प्रकाशित और अतुल चौरसिया और विकास कुमार द्वारा लिखित आवरणकथा ‘पेशेवर आंदोलनकारी’ में सब हेडिंग है- ”ऐसे लोग जिनका काम ही आंदोलन के मौके तलाशते रहना है.” लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या आंदोलन के मौके खोजना गुनाह है? ये तो एक अच्छे और सजग समाज का संकेत है जहां लोग किसी भी बुराई के खिलाफ उठ खड़े होने को तत्पर हैं. पर तहलका के लोगों का कहना है कि इस कवर स्टोरी में उन अवसरवादी आंदोलनकारियों का खुलासा किया गया है जो समाज के फायदे के लिए नहीं बल्कि निजी टीआरपी के लिए आधा-अधूरा आंदोलन चलाने पर आमादा रहते हैं. ‘तहलका’ आवरणकथा नीचे है. -यशवंत, एडिटर, भड़ास4मीडिया

श्रुति और उत्पला के सवालों का जवाब देने से डर क्यों रही भाकपा माले लिबरेशन की कविता कृष्णन?

Samar Anarya : अभी-अभी साथी Shruti Chaturvedi और Utpala Shukla ने श्रीमती कविता कृष्णन, पोलित ब्यूरो सदस्य, भाकपा माले लिबरेशन से कुछ सार्वजनिक सवाल पूछते हुए यह बयान जारी किया है. मैं सवालों से सहमति जताते हुए उसका अविकल हिंदी अनुवाद यहाँ पेश कर रहा हूँ-

Kavita Krishnan

जेएनयू यौन शोषण कांड : कुछ तो है जो Kavita Krishnan गैंग छुपा रहा है…

Samar Anarya : जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष और संयुक्त सचिव पर आरोपों के बारे में कुछ खरी खरी… कल तक लोगों पर पीड़िता का चरित्रहनन करने का आरोप लगाने वाली कविता कृष्णन जैसी फर्जी टीआरपी खोर नारीवादी इस मामले में शिकायतकर्ता को दूसरी पार्टियों का सदस्य बता के उसका चरित्रहनन कर रही हैं. सच यह है कि वह लेफ्ट सर्कल्स की ही नहीं,बल्कि उनकी पार्टी आइसा की ही करीबी रही है. दूसरी बात यह कि GSCASH शिकायत लेने के पहले स्क्रीनिंग करता है और प्रथम दृष्टया सबूत होने पर ही केस स्वीकार करता है. फिर अध्यक्ष और संयुक्त सचिव को इस्तीफ़ा क्यों देना पड़ा? कुछ तो है जो कविता कृष्णन गैंग छुपा रहा है?

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क्या आपने इस मुद्दे पर कम्युनिस्टों की सुपारी किलर Kavita Krishnan का कोई बयान सुना?

Samar Anarya : जेएनयूएसयू के अध्यक्ष और संयुक्त सचिव ने यौन हिंसा का आरोप लगने के बाद इस्तीफा दिया. मगर आपने इस मामले में जहरीले प्रोफ़ेसर आशुतोष कुमार और टीवी नारीवादी और कम्युनिस्टों की सुपारी किलर कविता कृष्णन का कोई बयान सुना? कामरेड खुर्शीद अनवर मामले में तो ये दोनों देश भर में आरोपों की सीडी का प्रदर्शन प्रायोजित और फंड कर रहे थे. इस बार ऐसी चुप्पी क्यों? इसलिए कि आरोपी इनकी पार्टी के सदस्य हैं?

Kavita Krishnan कविता कृष्णन जैसी तथाकथित नारीवादियों का स्टैंड उनकी असलियत बेनकाब कर देता है : समर

अविनाश पांडेय ‘समर’


Samar Anarya : मैं सिर्फ यौन उत्पीड़न का आरोप लग जाने की वजह से जेएनयूएसयू के अध्यक्ष और संयुक्त सचिव को अपराधी नहीं मानता. न्याय की अपनी एक प्रक्रिया होती है और वह प्रक्रिया पूरी होने तक न शिकायतकर्ता पीड़ित नहीं, बस शिकायतकर्ता होती हैं और आरोपित अपराधी नहीं, बस आरोपी. पर इसका मतलब यह नहीं कि आप पर्चा लाकर पूरे कैंपस में चिपका दें. भले ही आपको अभी GSCASH की नोटिस न मिली हो (जिसके बाद आप यह कर ही नहीं सकते), यह शिकायतकर्ता पर अनाधिकार दबाव बनाने की कोशिश है. हां, उसके बाद इस मसले पर कविता कृष्णन जैसी तथाकथित नारीवादियों का स्टैंड उनकी असलियत बेनकाब कर देता है. सवाल पूछने वालों को GSCASH का हवाला देते वक़्त यह कैंपस भर के पोस्टर भूल जाते हैं. यूं भी मोहतरमा का इतिहास GSCASH से दोषसिद्ध पाए गए प्रोफेसरों को बचाने तक का रहा है. इनका गैंग ज्वाइन कर लीजिये और आप बलात्कार करके भी लौट आइये तो यह आपका बचाव करते घूमेंगी और आप दूसरे संगठन के कामरेड हों (संघी नहीं, उनसे इन्हें डर लगता है) और निरपराध हों तो भी यह जहरीले प्रोफेसर आशुतोष कुमार के साथ देश भर में फर्जी वीडिओ घुमा के आपको आत्महत्या पर मजबूर कर देंगी.