Sushobhit Saktawat : बहुत खेद के साथ यह कह रहा हूं। कोई रजनी मोरवाल हैं। “हंस” में उनकी कहानी “महुआ” छपी है, जिसकी इधर बहुत प्रशंसा हो रही है। जान पड़ता है, यह पूरी कहानी उन्होंने सुशोभित की वॉल से रचनाएं चुरा-चुराकर बना डाली हैं। पूरे पूरे पैरेग्राफ़ उन्होंने उड़ा लिए हैं। रजनी की तो पुस्तकें तक छपी हैं, और एक अज्ञातकुलशील यह लेखक है, दिल्ली दरबार से दूर होने के कारण जिसका कुछ नहीं छपा। उल्टे उसकी लिखी चीज़ें चुरा ली जाती हैं। छी:, कितनी भद्दी बात!