किसी भी व्यवस्था में पूंजी का खास महत्व होता है, लेकिन पूंजीवादी व्यवस्था में इसका महत्व अत्याधिक है. अमेरिकी प्रोफेसर डेविड हार्वे के मुताबिक जिस प्रकार हमारे शरीर को संचालित करने के लिए खून का संतुलित और निरंतर प्रवाह जरूरी है, ठीक वैसे ही पूंजीवादी व्यवस्था में “पूंजी का प्रवाह” महत्वपूर्ण है. पूंजी का प्रवाह …
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फ्री स्पीच की वकालत करने वाले मीडिया संस्थान और उसके बहुतेरे नामचीन पत्रकार अंदर से बेहद कमजोर होते हैं!
NDTV STORY PART 4 पत्रकार डरे हुए हैं और इसके लिए सरकार से अधिक वो खुद और मीडिया संस्थान जिम्मेदार हैं… आजाद सोच वाले पत्रकार सवाल करते हैं. खबरों के साथ जब खेल होता है, खबरें जब मैनिपुलेट की जाती हैं तो वो पकड़ लेते हैं और विरोध करते हैं. ऐसे पत्रकार एक पेशेवर मीडिया …
जब रिपोर्टर प्रकाश सिंह को बाहुबली नेता अनंत सिंह ने बंधक बनाया तो NDTV ने दुम दबा लिया था!
Samarendra Singh : एनडीटीवी ने कैसे की ‘रिपोर्टर’ और ‘संपादक’ की हत्या! NDTV STORY PART 3… यह कैसे मुमकिन है कि जो एनडीटीवी छोटे-छोटे अपराधियों और बाहुबलियों के खिलाफ घुटने टेक देता है, जो अपने रिपोर्टरों का बचाव नहीं कर पाता है, वही चैनल बड़े नेताओं को निपटा देता है और सत्ता के शीर्ष को …
The first casualty, when war comes, is truth!
Nitin Thakur : युद्ध की चाह रखनेवालों को बधाई! आपके प्रिय चैनल जो कल्पना में गढ़ रहे थे वो असल में हो रहा है. इमरान खान पाकिस्तान में परमाणु हथियारों पर नियंत्रण रखनेवाली बैठक के साथ बैठक में हैं. भारत के तीनों सेनाओं के चीफ सुबह से रक्षामंत्री, गृहमंत्री और प्रधानमंत्री के साथ अलग-अलग बैठकों …
पत्रकार से पॉवर ब्रोकर बने डॉ प्रणय रॉय का पाखंड और एनडीटीवी का पतन – भाग (3)
पार्ट 2 से आगे… राधिका रॉय और चैनल के मालिकों का तरीका जितना ओछा था, दिबांग का जवाब उतना ही संतुलित था. उन्होंने शब्दों का चयन बहुत सोच-समझ कर किया था. मालिकों के मान के साथ अपने सम्मान की रक्षा भी की थी. जब संस्थान के मालिक ओछेपन पर उतर आएं तो फिर संपादक/पत्रकारों के …
पत्रकार से पॉवर ब्रोकर बने डॉ प्रणय रॉय का पाखंड और एनडीटीवी का पतन – भाग (2)
Samarendra Singh पार्ट वन से आगे…. दिबांग का कहना था कि खेल जाओ और इस आदेश के साथ ही पूरी टीम हरकत में आ गई. फिर क्या था हमने इस खबर के अलग-अलग पहलुओं को एक धागे में पिरो कर बुलेटिन तैयार कर दिया. ब्रेकिंग न्यूज की पट्टियां तैयार कर दी गईं और रिपोर्टर को …
इन पत्रकारों का मकसद अलग-अलग सियासी खेमे में शामिल होकर अपना निजी हित साधना है!
Samarendra Singh मेरी पिछली पोस्ट पर बहुत सारी टिप्पणियां आयी हैं. उनमें से कुछ पर मैंने अपनी प्रतिक्रिया दी है, लेकिन एक जरूरी टिप्पणी पर मेरा जवाब थोड़ा बड़ा है. इसलिए मैं उसे अलग से पोस्ट कर रहा हूं. यह टिप्पणी है Anil Singh सर की. उनके साथ मेरा कुछ अच्छा समय बीता है. वो …
अखबारों के प्रॉपर्टी सप्लीमेंट का वजन कम हो गया है!
Samarendra Singh : अखबारों के प्रॉपर्टी सप्लिमेंट का वजन कम हो गया है. बस थोड़े ही विज्ञापन दिखते हैं. प्रायोजित खबरों की संख्या भी घट गई है. उन विज्ञापनों में भी इनवेस्टर क्लिनिक या प्रॉपटाइगर जैसी निवेश कंपनियों के विज्ञापन ज्यादा हैं. मतलब प्रॉपर्टी का भाव मंदा है. इसे और मंदा होना चाहिए. इन कंपनियों ने एक अदद घर का सपना दिखा कर न जाने कितने लोगों के जीवन से वर्तमान की अनगिनत खुशियां छीन ली हैं. लोग खून-पसीना लगा कर पैसे बनाते हैं और मकान की किश्त चुकाते हैं. जालसाज कंपनियां लोगों को समय पर फ्लैट नहीं देती. ना घोषित ब्याज देती हैं. ऊपर से अलग-अलग बहाने से दाम बढ़ाती चली जाती हैं. उपभोक्ताओं के खिलाफ इतनी बड़ी और भद्दी साजिश शायद ही किसी कारोबार में रची गई हो. और इस साजिश में सरकार और बैंक सब शामिल हैं.
अर्णब गोस्वामी और नविका कुमार को एजेंट घोषित किया जाएगा…
Samarendra Singh : इस्तीफा तो देना ही चाहिए. नैतिकता का तकाजा तो यही कहता है. लेकिन सुषमा के बचाव में जिस तरह समूचा संघ परिवार मैदान में उतरा है उससे लगता नहीं की हाल-फिलहाल कोई इस्तीफा होगा. तो फिर क्या होगा? हंगामा होगा और इस हंगामे की अगुवाई कांग्रेस करेगी. हंगामा तो लोहिया और जयप्रकाश नारायण जी के चेलों को भी करना चाहिए, लेकिन अपराध और भ्रष्टाचार में गर्दन तक डूबे समाजवादियों की ऐसी हैसियत और नीयत – दोनों नहीं है कि वह कोई नैतिक मांग कर सकें. और क्या होगा?
इस सदी के स्वघोषित सबसे बड़े महानायक केजरीवाल की नाक जड़ से कट गई…
Samarendra Singh : जिसका अंदेशा था वही हुआ. अभय कुमार दुबे की बात सही निकली. किसी एक की नाक जड़ से कटनी थी और इस सदी के स्वघोषित सबसे बड़े महानायक की नाक जड़ से कट गई. कमाल के केजरीवाल जी दुखी हैं. बोलते नहीं बन रहा है. इसलिए अदालत के फैसले का इंतजार किये बगैर उन्होंने अपने क्रांतिकारियों को अपने बचाव में आगे कर दिया है. तोमर की डिग्री फर्जी है, यह मानने के लिए अब उन्हें किसी अदालत के फैसले की जरुरत महसूस नहीं हो रही है. अब उनके क्रांतिकारी कह रहे हैं कि माननीय को गहरा सदमा लगा है. तोमर ने उन पर जादू कर दिया था. फर्जी आरटीआई दिखा कर भ्रमित कर दिया था. हद है बेशर्मी की. बार-बार झूठ बोलने पर जरा भी लाज नहीं आती.
कुछ ईसाइयों ने कुछ कुत्सित हिंदुओं के साथ मिल कर दुर्गा को ‘वेश्या’ साबित करने की कोशिश की है
( File Photo Samarendra Singh )
Samarendra Singh : इन दिनों मेरे पास कुछ ई-मेल आ रहे हैं महिसासुर के बलिदान को लेकर। यह किसी दंगाई की सोच रही होगी जिसे लगता होगा कि वह इतिहास दुरुस्त कर देगा। ठीक वैसे ही जैसे कुछ लोग अयोध्या में इतिहास दुरुस्त करना चाहते हैं। अरे भई अब तक कोई ऐसा क्रांतिकारी पैदा ही नहीं हुआ जो अतीत को करेक्ट कर सके। फिर यह तो अतीत भी नहीं … अतीत का एक धार्मिक मिथक है। मैं इस दंगाई सोच का विरोध करता हूं और उन तमाम क्रांतिकारियों से अपील करता हूं कि मुझे ई-मेल नहीं भेजा करें। मुझे शांति से जीने दें। इस ई-मेल में संविधान का हवाला दिया गया है। तो क्या संविधान यह इजाजत देता है कि कोई मूर्ख किसी के भगवान या खुदा का अपमान करे? क्या यह अधिकार मुझे है कि किसी दिन मैं किसी भी धर्म के नायक को अपराधी करार देते हुए उसके विरोधियों को खुदा घोषित कर दूं?
खान साहब कमाल के समाजवादी सेक्युलर रिपोर्टर हैं!
Samarendra Singh : कल मैंने ndtv india देखा जमाने बाद। और वहां लखनऊ के क्रांतिकारी रिपोर्टर यह साबित करने कि कोशिश कर रहे थे कि मायावती कम्युनल हैं क्योंकि उन्होंने मुलायम से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया है। खान साहब कमाल के समाजवादी सेक्युलर रिपोर्टर हैं! मैं उन्हें और ndtv दोनों को सलाम करता हूं।