Nitin Thakur : आधार एकदम सेफ है. इतना सेफ कि ट्राई के चेयरमैन शर्मा जी ने ट्वीटर पर अपना आधार नंबर डालकर चैलेंज कर दिया कि जो लीक करके दिखा सकते हो दिखा दो. शर्मा जी आधार की प्राइवेसी के पक्के वकील हैं. कुछ ही घंटों के बाद फ्रांस के एक शख्स ने उनका निजी …
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ईटीवी के सीनियर रिपोर्टर आलोक शर्मा ने छेड़छाड़ कर भाग रहे एक वहशी दरिंदे को धर दबोचा
Alok Sharma : दोस्तों, लड़की के साथ अभद्रता और छेड़छाड़ कर भागे लड़के को करीब एक किलोमीटर दौड़ कर पकड़ा, मुद्दा ये नहीं था कि मुझे हीरो बनना था, बड़ी बात ये थी कि आज उसे छोड़ दिया जाता या वो बच जाता तो कल को हमारी बहन-बेटियों के साथ भी ऐसा ही करता। घटनाक्रम सात मई की रात 9.30बजे का है। अपने परिवार के साथ B 2- By Pass के पास गार्डन में घूम रही स्कूल से कुछ समय पहले ही Pass Out हुई लड़की के साथ यह सब हुआ। बेशर्म में हवस इतनी थी कि उसकी गोद में बैठी डेढ़ साल की बच्ची को भी गोद से गिरा दिया।
आलोक शर्मा
पत्रकार मनोज ने हरियाणा के कनफ्यूज्ड सीएम खट्टर को आइना दिखा दिया
जाट आरक्षण से निपटने को लेकर मुख्यमंत्री खट्टर कन्फ्यूज्ड हैं। लेकिन बिल्डरों को लाभ देने और करप्शन की शिकायतों को रद्दी की टोकरी में डालने के मामले में बिलकुल कन्फ्यूज्ड नहीं हैं। एक तेजतर्रार पत्रकार ने कन्फ्यूज्ड चीफ मिनिस्टर को समझा दिया कि सरकार कनफ्यूज़न से नहीं चलती। चंडीगढ़ में एक पत्रकार हैं मनोज ठाकुर। मैं कभी मिला नहीं। या कहिये की मिलने का सौभाग्य नहीं हुआ। फेसबुक पर मित्र बने। मैं उनकी पत्रकारिता को सलाम करता हूँ।
सुप्रीम कोर्ट में ‘लोकमत’ को साकुरे ने दी मात, एरियर 50 लाख और वेतन 40 हजार मिलेगा
नागपुर। दो साल पहले 61 कर्मचारियों को बिना किसी कारण के अवैध रूप से टर्मिनेट करने और कर्मचारियों के शोषण, अन्याय एवं अत्याचार के लिए कुख्यात महाराष्ट्र के कुख्यात लोकमत समाचार पत्र समूह को सुप्रीम कोर्ट से फिर एक बड़ा झटका लगा है. लोकमत के भंडारा कार्यालय में प्लानर के रूप में कार्यरत महेश मनोहरराव साकुरे को सुप्रीम कोर्ट ने मजीठिया वेतन आयोग के अनुसार वेतन देने और 1998 से लेकर अब तक पालेकर, बछावत, मणिसाना एवं मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार ब्याज के साथ एरियर्स देने का फैसला सुनाया है.
ये सायकिल न चला पाने वाली ‘बीमार’ लड़की कैसे पहले स्कूटी, फिर कार वाली बन गई?
Geetali Saikia : बचपन में सायकिल सीखने को लेकर अक्सर भाई से मेरी लड़ाई हो जाती थी. एक तो वो लाल रंग की हरकुलिस उसे बहुत पसंद थी. दूसरी मैं इतनी कमजोर थी कि मुझे चोट लगने के डर से वो मुझे छूने भी नहीं देता था. अकसर बीमार रहती थी मैं. दुबली पतली होने के कारण उससे जीत नहीं पाती थी तो मन मसोसकर या तो घर में आ जाती या फिर बाउंड्रीवाल के किनारे लगे नारियल के पेड़ों में पत्थर मारती थी.
लाजवाब! राहत इंदौरी को सुनें : …किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है… (देखें वीडियो)
जाने-माने शायर राहत इंदौरी का अंदाज-ए-बयां देखिए सुनिए. इस वीडियो में राहत इंदौरी बड़ी बारीकी, हिम्मत और स्वाभिमान के साथ सच्चे दिलों की बात को प्रकट कर रहे हैं. उनकी आखिरी लाइनें तो लाजवाब कर देने वाली है जिसमें वो कहते हैं….