सुना है सिवनी में अब ब्लेकमेलर पत्रकार भी पैदा हो गये हैं जो पहले यदा-कदा ही देखने को मिलते थे। नगर का एक मिड डे अखबार (राष्ट्रचंडिका नही) जो लोगों की वाणी कहलाता था जिस पर अब ब्लेकमेलिंग का धब्बा लग गया है। यूं तो सिवनी में ऐसे भी पत्रकार है जिनके पास अखबार न होते हुए भी वह डंके की चोट में वसूली अभियान चलाते हैं। राष्ट्रचंडिका ने पहले भी कई ऐसे पत्रकारों के काले कारनामें सामने लायें हैं जिनका कोई वजूद (अखबार) ही नहीं है। ऐसे पत्रकारों को हम ‘छोटे कद के’ पत्रकार कहेंगे जिनका कद वास्तविकता में लंबा क्यों न हो लेकिन पत्रकारिता में छोटे कद के नाम से ही जाने जायेंगे।
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सिवनी में विज्ञापन दिखाने के नाम पर करोड़ो रुपए लेकर भाग गया ‘चित्रांश’ गिरोह
सिवनी में अमीर बनने का सपना लोगों को भारी पड़ गया। करीब 3 सौ लोग फर्जीवाड़े के शिकार हो गए। चित्रांश टेक्नोलॉजी नामक फर्जी कंपनी ने विज्ञापन दिखाने के नाम पर मोटी कमाई का लालच देकर लोगों से 35-35 हजार रुपए वसूले। बाद में उन्हें एक एलसीडी थमा दिया। कहा गया कि एलसीडी में विज्ञापन चलाया जाता है। जिसे देखने पर पहले साल 7000 रुपए प्रति माह, फिर दूसरे साल 8000 रुपए प्रति माह और तीसरे साल 10000 रुपए प्रति माह के हिसाब से रकम मिलेगी। कुल मिलकर तीन साल में 330000 रुपए दिए जाएंगे।
सिवनी में तीन सौ रुपये में प्रेस कार्ड बना रहा ‘पत्रकार’
सिवनी (म.प्र.) : पत्रकारिता को बदनाम करने वालों की कमी नहीं है। यहां हर दसवां आदमी अपने आपको पत्रकार बताते हुए धन उगाही में लगा हुआ है। ऐसा ही एक तथाकथित पत्रकार दिलीप यादव, जो पहले दो-तीन हजार रुपये लेकर प्रेस कार्ड बनाता था, अब सिर्फ 300 रुपये में प्रेस कार्ड बनाने लगा है।