‘आप’ तो ऐसे न थे : केजरी वही सब टोटके कर रहे जो भ्रष्ट नेता करते रहे हैं

-मनोज कुमार-

एक साथ, एक रात में पूरी दुनिया बदल डालूंगा कि तर्ज पर दिल्ली में सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी के हुक्मरान जनाब अरविंद केजरीवाल ने मुझे तीन दिनों से परेशान कर रखा है। आगे और कितना परेशान करेंगे, मुझे नहीं मालूम लेकिन हाल-फिलहाल मेरी बड़ी शिकायत है। सुबह अखबार के पन्ने पलटते ही दो और चार पन्नों का विज्ञापन नुमाया होता है। इन विज्ञापनों में केजरीवाल अपनी पीठ थपथपाते नजर आते हैं। केजरीवाल सरकार इन विज्ञापनों के जरिये ये साबित करने पर तुले हैं कि उनसे बेहतर कौन? ऐसा करते हुए केजरीवाल भूल जाते हैं कि दिल्ली के विकास को जानकर मध्यप्रदेश का कोई भला नहीं होने वाला है और न ही उनके इस ‘पीठ खुजाऊ अभियान’ से मध्यप्रदेश में कोई सुधार होगा। बार बार भोपाल और मध्यप्रदेश की बात इसलिए कर रहा हूं कि इससे मुझे इस बात की परेशानी हो रही है कि मेरे पढ़ने की सामग्री गायब कर दी जा रही है। केजरीवाल के इस ‘पीठ खुजाऊ अभियान’ में मेरी कोई रूचि नहीं है।

सम-विषम के नाम पर आम जनता को परेशान करने के लिए अड़ गई आम आदमी पार्टी की सरकार

Sanjaya Kumar Singh : पत्नी और सरकार के आगे तर्क!! दिल्ली में प्रदूषण कम करने के लिए जांच के तौर पर शुरू की जा रही सम विषम नंबर की कारों को सम विषम तारीखों को ही चलने देने के फैसले की घोषणा में इतनी छूट है कि – यह प्रयोग सफल हो या असफल कोई खास मतलब नहीं है। सम-विषम नंबर के नाम पर असल में दिल्ली की आबादी को दो हिस्सों में बांट दिया गया है। एक आबादी जो इससे बेसर है। चाहे वह वीआईपी हो या मोटरसाइकिल चलाने वाली या महिलाएं। दूसरी आबादी इससे प्रभावित होने वालों की है और यह दिल्ली में रोज दफ्तर आने जाने वालों का है जो सबसे ज्यादा परेशानी झेलेगी। चूंकि मामला स्थायी नहीं है इसलिए परेशानी और ज्यादा है। वरना परेशान होने वाला अपने लिए कोई इंतजाम करता।

केजरीवाल और राजदीप सरदेसाई की ‘आफ दी रिकार्ड’ बातचीत लीक, आप भी देखें वीडियो

केजरीवाल और पुण्य प्रसून बाजपेयी की आफ दी रिकार्ड बातचीत लीक होने का मामला सभी को पता है. अब केजरीवाल और राजदीप सरदेसाई की निजी बातचीत लीक हो गई है. राजदीप सरदेसाई जब केजरीवाल का इंटरव्यू करने के लिए बैठे तो नजीब जंग के मसले पर निजी बात करने लगे. इस दौरान इंटरव्यू की तैयारी के लिए बाकी स्टाफ सक्रिय था. निजी बातचीत के दौरान माइक और कैमरा आन था. नजीब जंग के पाला बदलने को लेकर दोनों लोग दुखी दिखे.

(वीडियो देखने के लिए उपरोक्त तस्वीर पर क्लिक करें)

‘आप’ सोशल मीडिया हेड की पत्नी बोली- केजरीवाल ने बर्बाद कर दिया फेमिली लाइफ

आम आदमी पार्टी के सोशल मीडिया हेड अंकित लाल की पत्नी प्रेरणा प्रसाद ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल पर अपना फेसबुक अकाउंट बंद करवाने की कोशिश का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, यह कहने में बुरा लग रहा है, लेकिन अरविंद केजरीवाल ने अपना करियर कई लोगों के करियर और मेरे जैसे यंगस्टर्स की फैमिली लाइफ को बर्बाद कर बनाया है। प्रेरणा ने केजरीवाल को एक मैनिपुलेटर (जोड़तोड़ करने या अपनी बात मनवाने वाला) करार दिया है।

अब राजनीति में भड़ास, 7वें स्थापना दिवस पर लांच कर दी जाएगी नई राजनीतिक पार्टी

Yashwant Singh : अब राजनीतिक पार्टी मुझे बनाना ही पड़ेगा. देश चलाने के लिए हम सबों को आगे आना ही पड़ेगा. क्यों न भड़ास के सातवें स्थापना दिवस के मौके पर एक नई राजनीतिक पार्टी लांच कर दी जाए. कांग्रेस के खात्मे, मोदी के पतन, केजरी की चिरकुटई, क्षेत्रीय दलों के करप्शन आदि के कारण पूरे देश में फिर से निराशा का चरम माहौल है. नागनाथ और सापनाथ के बीच चुनने के मजबूरी के कारण हालात बहुत दूर दूर तक बदलते नहीं दिख रहे.

केजरीवाल से एक और समर्थक का मोहभंग, अपने ब्लाग पर लिखा: ”Kejriwal, You Have Failed Us”

“Not even the king has the right to subordinate the interests of the state to his personal sympathies or antipathies.”

AAP “leader” Ashutosh started his blog with this statement to defend the expulsion of four AAP leaders from the party. If there is one person who needed to be reminded of this sentence today, it is none other than Arvind Kejriwal.

Kejriwal has no moral ground to remain as the convener of AAP and here are the reasons.

भड़ास के एडिटर यशवंत ने ‘आप’ से दिया इस्तीफा… केजरी को हिप्पोक्रेट, कुंठित और सामंती मानसिकता वाला शातिर शख्स करार दिया

(यशवंत सिंह)

: सवाल उठाने वालों को ‘आप’ से बर्खास्त कर केजरीवाल ने अपनी सच्ची शकल दिखा ही दी : अरविंद केजरीवाल की सच्ची शकल सामने आने से कम से कम मुझे बड़ा फायदा हुआ. अच्छी राजनीति को लेकर मन में जो थोड़े बहुत पाजिटिव विचार आए थे, वो खत्म हो गए. राजनीति में डेमोक्रेटिक नहीं हुआ जा सकता, ये समझ में आ गया. भारत जैसे देश में कहने को भले ही शासन की प्रणाली डेमोक्रेसी हो लेकिन यहां डेमोक्रेटिक व्यक्ति नहीं हुआ जा सकता और डेमोक्रेटिक व्यक्ति हुए बिना अच्छी सच्ची राजनीति हो ही नहीं सकती. केजरीवाल डेमोक्रेटिक था ही नहीं, यह साबित हो गया. इसलिए इससे अब किसी अच्छी सच्ची राजनीति की अपेक्षा नहीं की जा सकती.

‘आप’ से बाहर किए गए योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, आनंद कुमार और अजित झा

वही हुआ जिसकी आशंका थी. तानाशाही दिखाते हुए सत्ता के नशे में चूर अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी से प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, आनंद कुमार और अजित झा को निकाल बाहर कर दिया है. इन सभी पर पार्टी विरोधी गतिविधियों और घोर अनुशासनहीनता का आरोप लगाया गया है. इसके पहले इन नेताओं को पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था. इन नेताओं को पार्टी से निकाले जाने का फैसला लेने का नाटक राष्ट्रीय अनुशासन समिति ने किया. समिति का कहना है कि वह कारण बताओ नोटिस के लिए मिले जवाब से संतुष्ट नहीं है.

मोदी जी, आम आदमी के साथ इत्ता बड़ा “ब्लंडर” तो AAP वालों ने भी नही किया था जैसे आप कर रहे हो..

परम आदरणीय मोदी जी..

प्रणाम

ये आपको क्या हो गया है…

चुनाव के पहले और चुनाव के बाद आपकी स्थिति तो सस्ते अखबार में आने वाले
“शादी के पहले और शादी के बाद”
वाले विज्ञापन जैसी हो गयी है..

दिल्ली से बाहर निकलते ही केजरीवाल के मंत्री Gopal Rai ने लाल बत्ती लगी कार धारण कर ली

Yashwant Singh : केजरीवाल के एक मंत्री Gopal Rai लाल बत्ती लगी कार से अपने गांव गए थे. क्या बुरा है भाई. वीवीआईपी कल्चर सिर्फ दिल्ली में खत्म करने का वादा था. कोई यूपी बिहार का नाम थोड़े लिया था ‘आप’ ने. वैसे भी, जंगली प्रदेश यानि यूपी में लाल बत्ती लगी कार से नहीं जाएंगो तो अफसर लोग से लेकर नेता लोग अउर जनता लोग तक इनको मंत्री ही नहीं मानेंगे. इसलिए जैसा देस वैसा भेष. दूसरे, गोपाल जी को अपने गांव के लोगों को भी तो एक बार दिखाना था कि देखो, हम मंत्री बन गया हूं, लाल बत्ती वाला… पों पों पों पों…

केजरीवाल से आज फिर निराश हुए ओम थानवी

Om Thanvi : केजरीवाल को पहली बार किसी सभा में आमने-सामने सुना। आशुतोष की किताब का लोकार्पण था। राजदीप ने वे सारे मुद्दे कुरेदे जो जरूरी थे। जो सब भुला बैठे उन्हें अंत में भूपेंद्र चौबे और शेखर गुप्ता ने पूछ लिया। लेकिन केजरीवाल सबसे दाएं-बाएं ही हुए। सिर्फ साले-कमीने की भाषा के इस्तेमाल पर इतना कहा कि उन्हें ऐसा नहीं बोलना चाहिए था। पर इसमें कोई अफसोस का भाव जाहिर न था।

लूट प्रदेश कह लीजिए या आतंक प्रदेश, चहुंओर मातम का नाम है उत्तर प्रदेश…. (सुनें आडियो टेप)

Yashwant Singh : गजब है उत्तर प्रदेश. भ्रष्टाचार और अराजकता का चरम है इस सूबे में. मीडिया वाले सूबे के युवा मुखिया अखिलेश यादव का चरण दबाने में लगे हैं. ज्यादातर समाजवाद का कोरस गा रहे हैं. कुछ एक जो बोल सकते थे, वे चुप्पी साधे हैं. मीडिया मालिक यूपी सरकार के भारी भरकम विज्ञापन तले दबकर एहसानमंद हैं. इन मालिकों के नौकर किस्म के पत्रकार सरकार से अघोषित रूप से मिले कैश या आवास या दलाली या अन्य सुविधाओं के कारण सरकार के खुलेआम या छिपे प्रशंसक बने हुए हैं. ऐसे में सच्चाई सामने नहीं आ रही.

लव, सेक्स, धोखा और आप…. : ‘आप’ अब राजनीतिक दल नहीं, बल्कि गैंग है…

70 सीटों वाली दिल्ली विधानसभा में 67 विधायक अरविन्द केजरीवाल के हैं. ये सबको मालूम है. कमाल का बन्दा है ये केजरीवाल. क्या सहयोगी, क्या विरोधी. सबको ठिकाने लगा देता है. क्या अपने- क्या पराये. “जो हमसे टकराएगा-चूर चूर हो जाएगा” के मंत्र का निरंतर जाप करता हुआ ये शख़्स ज़ुबाँ से भाईचारे का पैगाम देता है, मगर, वैचारिक विरोधियों को चारे की तरह हलाल करने से बाज नहीं आता.

बनारस की लवंडई और ग़ाज़ीपुर की अक्‍खड़ई का मिलन!

Abhishek Srivastava : बनारस की लवंडई और ग़ाज़ीपुर की अक्‍खड़ई आपस में मिल जाए तो वही होता है जो आज आम आदमी पार्टी के साथ हुआ है। ग़ाज़ीपुर के निवासी और बीएचयू छात्रसंघ के कभी महामंत्री रह चुके छात्र नेता उमेश कुमार सिंह ने मौके पर जो लंगड़ी मारी है, वह कल होने वाली नेशनल काउंसिल की बैठक से पहले रात भर में ही खेल को बिगाड़ने की कुव्‍वत रखता है। उमेशजी की सोहबत में अरविंद केजरीवाल बनारस से चुनाव तो लड़ आए, लेकिन एक बात नहीं समझ पाए कि मुंह में पान घुला हो तो बनारसी आदमी अमृत को भी लात मार सकता है। अगर ग़ाज़ीपुर का हुआ तो खिसिया कर सामने वाले के मुंह पर थूक भी सकता है।

अबे चिरकुट आपियों, खुद को अब मोदी-भाजपा से अलग कैसे कहोगे…

Yashwant Singh : चोरकट केजरी और सिसोदिया का असली रूप आया सामने.. दिल्ली में पानी के दाम में 10 परसेंट वृद्धि। अबे चिरकुट आपियों, मोदी-भाजपा से खुद को अलग अब कैसे कहोगे। सत्ता पाकर तुम लोग भी आम जन विरोधी हो गए! अरे करना ही था तो चोर अफसरों के यहाँ छापे मरवाकर उनकी संपत्ति जब्त कराते और उस पैसे को बिजली पानी में लगाते। जल बोर्ड के करप्ट अफसरों और पानी माफिया की ही घेराबंदी कर देते तो इनके यहाँ से हजार करोड़ निकल आता। पर अमेरिकी फोर्ड फाउंडेशन के धन पर करियर बनाने वाले इन दोनों नेताओं से अमेरिकी माडल के पूंजीवाद से इतर काम करने की उम्मीद नहीं की जा सकती।

चुनाव जीतने के बाद सामने आने लगी अहंकारी केजरीवाल की असलियत

Mukesh Kumar : अहंकारी कौन? केजरीवाल या प्रशांत-योगेंद्र?? मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद केजरीवाल ने कहा था कि राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव लड़ने का फ़ैसला अहंकार से प्रेरित था। फिर उन्होंने इस फ़ैसले को नकारते हुए इसके पैरोकारों को पीएसी से बाहर कर दिया। अब वे कह रहे हैं कि पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर अपना विस्तार करेगी। सवाल उठता है कौन अहंकारी है? कहीं ये केजरीवाल का अहंकार तो नहीं बोल रहा था कि मेरे होते हुए फ़ैसला करने वाले तुम तुच्छ लोग कौन होते हो? फैसला करने का हक मेरा और मेरे चमचों का है, किसी और का नहीं इसलिए अब का फ़ैसला सही है और अहंकार रहित है। इस पाखंड पर बलिहारी जाने का मन करता है।

xxx