Om Thanvi : सुबह की किरण में आज उजाला नहीं। अलस्सबह मित्रवर अपूर्वानंद ने चेन्नई से सूचित किया कि नीलाभ मिश्र नहीं रहे। वे अपोलो अस्पताल में चिकित्सा के लिए भरती थे। पर कुछ रोज़ से हताशा भरे संकेत मिलने लगे थे। इसके बावजूद सुबह उनके निधन की ख़बर किसी सदमे की तरह ही मिली। नीलाभ कम बोलने वाले पत्रकार थे, सौम्य और सदा मंद मुस्कान से दीप्त। लेकिन उनका काम बहुत बोलता था। जब पत्रकारिता में सरोकार छीजते चले जा रहे थे, नीलाभ ने सरोकार भरी पत्रकारिता की। आउटलुक हिंदी को उन्होंने ढुलमुल शक्ल से उबारते हुए जुझारू तेवर दिया। साहित्य-संस्कृति से भी उनका अनुराग गहरा था, जो कम पत्रकारों में दिखाई देता है। पिछले साल उन्होंने नेशनल हेरल्ड के प्रधान सम्पादक का ज़िम्मा संभाला था। सीमाओं के बावजूद वहाँ भी उन्होंने कई अनुष्ठान अंजाम दिए। उनकी साथी-संगिनी कविता श्रीवास्तव के दुख का अंदाज़ा मैं लगा सकता हूँ। वे नागरिक अधिकारों के लिए लड़ने वाली दबंग महिला है। नीलाभ का जाना उन्हें सबसे ज़्यादा तकलीफ़ देगा। पर उनका संघर्ष इससे विचलित न होगा। नीलाभ नहीं होंगे, पर स्मृति की भी अपनी ताक़त होती है।
Tag: death new new
इमरजेंसी के दौरान जेल जाने वाले सीतापुर के वरिष्ठ पत्रकार कामरेड डॉ. गंगाराम मिश्र का निधन
सीतापुर से केके सिंह सेंगर की रिपोर्ट
सीतापुर (यूपी) : सीतापुर जिले के मिशनरी पत्रकार कहे जाने वाले वरिष्ठ पत्रकार व देशदीप समाचार पत्र के संपादक कामरेड डॉ. गंगाराम मिश्र नहीं अब रहे। वह 87 वर्ष के थे। आपातकाल (इमरजेंसी) के दौरान मीसा कानून में वे जेल भी गए थे। राजनीतिक क्षेत्र में भी उनकी सभी दलों में जबरदस्त पकड़ थी। शनिवार की रात हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया। रविवार को उनका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हुआ। वे अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं।
चचा रजनीकर नहीं रहे, पार्थिव शरीर मेडिकल कालेज को सुपुर्द
Ajay Gupta : अशोक रजनीकर पत्रकारिता के क्षेत्र के एक सुविख्यात नाम रहे हैं. 78 साल की उम्र में एक लंबी बीमारी के बाद शुक्रवार को लखनऊ में उनका निधन हो गया. उनकी पत्नी नसीमा रजनीकर ने मेडिकल कालेज को उनकी इच्छा अनुरूप उनका देह दान कर दिया. जरूरतमंद को उनका कार्निया लगाकर उसके जीवन में रोशनी भर दी. नेशनल हेरल्ड ग्रुप के नवजीवन, जागरण, पाटलीपुत्र टाइम्स जैसे दर्जनों अखबारों को अपनी सेवाएं दीं. बीमार होने से वह दैनिक राष्ट्रीय सहारा में संपादकीय लिखते रहे. वह आजीवन कम्युनिस्ट विचारधारा के वाहक रहे. हिंदू मुस्लिम एकता के कट्टर हिमायती रहे. रिश्ते में अशोक रजनीकर जी मेरे मामाजी थे. पत्रकारिता इन्होंने ही मुझे सिखायी थी. नवजीवन में नौकरी भी दिलायी थी. आगरा, लखनऊ, पटना इनके पत्रकारिता का क्षेत्र रहा. पटना में हिंदुस्तान, पाटलीपुत्र में सहायक संपादक रहे. राष्ट्रीय सहारा में संपादकीय प्रमुख थे. व्यंग्य लेखन में निपुण थे. देश के प्रमुख अखबारों में हर विषय पर उनके लेख छपते रहे हैं.
अशोक रजनीकर जी.
फक्कड़ और घुमन्तू पत्रकारिता के झंडाबरदार अम्बरीश दादा खुद में एक संस्था थे
घुमंतू की डायरी अब बंद हो गयी क्योंकि इसे लिखने वाला फक्कड़ पत्रकार 19 जनवरी-2018 की रात ना जाने कब दुनिया छोड़ गया। दिल में यह हसरत लिये कि अभी बहुत कुछ लिखना-पढ़ना है। पत्रकारिता के फकीर अम्बरीश शुक्ल का हम सब को यूं छोडकर चले जाना बहुत खल गया। हिन्दी पत्रकारिता के पुरोधा अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी के शहर कानपुर में 35 साल से अधिक (मेरी अल्प जानकारी के मुताबिक) वक्त से फक्कड़ और घुमन्तू पत्रकारिता के झण्डाबरदार अम्बरीश दादा, चलते फिरते खुद में एक संस्था थे।
दैनिक जागरण और हिंदुस्तान अखबारों के संपादक रहे शशांक शेखर त्रिपाठी का निधन
Onkareshwar Pandey : वरिष्ठ पत्रकार शशांक शेखर त्रिपाठी का असमय चले जाना कचोट रहा है। साथियों ने खबर दी है कि वे गुरुवार को लखनऊ मे अपने घर के बाथरूम में फिसलकर गिर गए थे। अस्पताल में तीन दिनों तक मौत से जंग लड़ने के बाद आखिरकार वे उस सफर पर चल पड़े, जहाँ से कोई वापस नहीं आता। हिंदी पट्टी के प्रखर पत्रकार शेखर त्रिपाठी दैनिक जागरण के संपादक थे। वे राष्ट्रीय सहारा दिल्ली और अन्य कई अखबारों में भी रहे। मेरे अच्छे मित्र थे। बेहतरीन इंसान। मुश्किलों में दोस्तों की आगे बढ़ कर मदद करने वाले । ईश्वर उनकी आत्मा को शांति और मोक्ष प्रदान करें और उनके परिवार को यह दुख सहने की शक्ति।
वरिष्ठ पत्रकार श्री सत्येंद्र आर शुक्ल (92) नहीं रहे
Sarvesh Kumar Singh : दुखद समाचार। वरिष्ठ पत्रकार श्री सत्येंद्र आर शुक्ल (92) नहीं रहे। 13 अक्टूबर को शाम 5 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। मेरे मित्र राजीव शुक्ला के पिता NUJI और UPJA के संस्थापक सदस्य थे। भगवान उनकी आत्मा को सद्गति प्रदान करे। विनम्र श्रद्धांजलि। शनिवार की अपरान्ह भैंसाकुण्ड श्मसान घाट पर उनकी अन्त्येष्टि की गई। उनके ज्येष्ठ पुत्र राजीव शुक्ल ने मुखाग्नि दी। इस दौरान राजधानी के अनेक पत्रकार और उनके परिवारीजन मौजूद थे।
मनोज भी दरवीश ही की तरह कैंसर में गिरफ़्तार होकर चल बसे!
Asad Zaidi : मनोज पटेल का अचानक चले जाना अच्छा नहीं लग रहा है। हिन्दी में दुनिया भर की समकालीन कविता के अनुवाद की जो रिवायत अभी बन रही है, वह उसके बनाने वालों में एक थे। वह कविता के अत्यंत ज़हीन पाठक थे, नफ़ीस समझ रखते थे, और उनकी पसन्द का दायरा व्यापक था।
बेहतरीन अनुवादक और ब्लागर मनोज पटेल नहीं रहे
Amitaabh Srivastava : बेहतरीन अनुवादक, ब्लॉगर, फेसबुक मित्र मनोज पटेल का यूँ अचानक चले जाना! क्या कहें सिवाय इसके कि जीवन बहुत अनिश्चित है, समय बहुत क्रूर. पुस्तक मेले की मुलाकात याद आयी और मन भर आया. हम जैसों के लिए तो उनके अनुवाद एक नयी दुनिया की खिड़कियों का काम करते थे. उनका ब्लॉग पढ़ते-पढ़ते पढ़कर ही कई नामों से परिचय हुआ था. बहुत अफ़सोस है मन में, बड़ा मनहूस दिन रहा आज. विनम्र श्रद्धांजलि
नवगछिया के वरिष्ठ पत्रकार सुनील कुमार झा उर्फ सुनील झा नहीं रहे
शुक्रवार को चार बजे सुबह पटना के आईजीआईएमएस में ली अंतिम सांस… बिहार के भागलपुर जिले के बिहपुर के दयालपुर ग्राम के निवासी सुनील कुमार झा का शुक्रवार को पटना के आईजीआईएमएस में इलाज के दौरान निधन हो गया. वे कैंसर से पीड़ित थे. कुछ दिनों पूर्व जब उन्हें परेशानी हुई तो उन्हें इलाज के लिए भागलपुर के जेएलएनएमसीएच में भर्ती कराया गया था. उन्होंने अन्न जल लेना पूरी तरह से बंद कर दिया था.