सुख-दुख
एक दुर्भाग्यपूर्ण संयोग या दुर्योग, जो कहिए... मेरे ज्यादातर प्रिय पत्रकारों का समुदाय धीरे-धीरे सिकुड़ता छोटा होता जा रहा है... दो-तीन साल के भीतर...
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एक दुर्भाग्यपूर्ण संयोग या दुर्योग, जो कहिए... मेरे ज्यादातर प्रिय पत्रकारों का समुदाय धीरे-धीरे सिकुड़ता छोटा होता जा रहा है... दो-तीन साल के भीतर...
मैं बनवारी जी से मिलने साढ़े चार सौ किमी की यात्रा तय कर दिल्ली आ गया वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ल जब से विजुअल मीडिया...
खुरदरी चट्टान से जीवन पर / आशा के बादल बरसे जरूर हैं। पर नहीं उगा सके / सुख की एक हरी कोपल भी। और......
Om Thanvi : परसों की ही बात है। आइआइसी मेन के लाउंज में सुपरवाइजर की मेज के गिर्द हम दोनों अगल-बगल आ खड़े हुए...
''कृष्णजी, मैं दिल्ली आ गया हूँ....'' 17 दिसम्बर को Pankaj Singh का दूरभाष आया. वे अपने मुल्क़ मुज़फ़्फ़रपुर से आये थे जहां उन्हें कविता...
Ashish Maheshwari : फेसबुक है कि याद दिला देता है... आज जब पत्रकारिता मैनेज करने और मैनेज होने भर का माध्यम बनकर रह गई...
किसी व्यक्ति के नहीं रहने पर आमतौर पर महसूस किया जाता है कि वो होते तो यह होता, वो होते तो यह नहीं होता...
(स्व. विनोद मेहता जी) Sumant Bhattacharya : विनोद मेहता की रुखसती का मतलब... मैं शायद उन चंद किस्मत वाले पत्रकारों में हूं, जिनका साक्षात्कार...
Sushant Jha : विनोद मेहता से सिर्फ एक बार मिला, वो भी संयोग से। सन् 2004 में IIMC में एडमिशन लेना था, प्रवेश परीक्षा...
प्रातः स्मरणीय भाई साहब अतुल माहेश्वरी की आज चौथी पुण्य तिथि है। हां हम 'उन्हें भाई' साहब नाम से ही पुकारते रहे हैं। अमर...
Dear Yashwant ji, Still my hands are trembling , am shaken and eyes full of tears. Do not know how am I even writing...