कारगिल जीतने वाले रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीस ने तो कभी अपना अभिनंदन नहीं कराया

Arvind K Singh :  पिछले तीन दशक में कारगिल से बड़ी जंग तो कोई और हुई नहीं..उसमें बड़ी संख्या में जवानों की शहादत हुई। मैने भी उसे कवर किया था। लेकिन मुझे याद नहीं आता कि उस दौर के रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीस ने इस मुद्दे पर अपना अभिनंदन समारोह कराया हो….अगर गलत हूं तो बताइएगा। फिर रक्षामंत्री जी आपने ऐसा क्या कर दिया। न फैसला आपका, न उसे लागू कराने गए आप…जो काम जिसने किया है उसको देश की जनता दिल से शुक्रिया कर रही है। आप तो इसे राजनीतिक रंग देने में लग गए हैं वह भी उत्तर प्रदेश में जहां चुनाव हो रहा है। सर्जिकल स्ट्राइक के मसलेपर कड़ा फैसला लेने का श्रेय प्रधानमंत्री श्री मोदी को ही मिलेगा किसी और को नहीं।

किसान चैनल से नरेश सिरोही का अलग होना वाकई एक दुखद घटना है

Arvind K Singh : किसान चैनल के सलाहकार श्री नरेश सिरोही का उससे अलग होना वाकई एक दुखद घटना है। प्रधानमंत्री इसे जिस स्तर का बनाना चाहते थे और उसका जो नतीजा आना था वह नहीं आ पाया। लेकिन इसके पीछे जिस तरह की शक्तियां किसान चैनल को शक्तिहीन करने में लगी थीं, वह कोई छिपी बात नहीं रह गयी है। रही बात राजनीति करने की तो तमाम पैदल लोगों की जमात के बीच नरेश सिरोही को इससे बड़ा पद मिला हुआ था। किसान चैनल में आकर वे बंध से गए थे।

अरविंद कुमार सिंह का रोहित सरदाना से सवाल- सुधीर चौधरी को चिट्ठी लिख कभी पूछा कि जिंदल से सौदेबाजी क्यों करनी चाही थी?

Arvind K Singh : रवीश कुमार की चिट्ठी पर चिट्ठी…. रवीश कुमार की चिट्ठी पर एक पत्रकार साथी रोहित सरदाना ( जीन्यूज) ने कुछ सवाल खड़ा किया है। हालांकि ये दोनों पत्रकार साथी ऐसे नहीं है जिनके साथ मैने काम किया हो या कोई गहरा संबंध हो। लेकिन बात मुद्दे की उठी है तो बिना हस्तक्षेप किए रहा नहीं जा रहा है। रवीश कुमार का जहां तक मैने आकलन किया है, उनसे मेरा दूर का संबध है। फिर भी कभी कभार उनको एकाध सलाह दी तो उसे माना और जवाब भी दिया। इसमें कोई संदेह नहीं कि वे ऐसे तमाम मुद्दों को उठाते हैं जिस पर आम तौर पर मुख्यधारा का टीवी शांत रहता है।

यूपी में इतनी स्वायत्तता के बाद भी ऐसी कमजोर सरकार पहले कभी नहीं दिखी

Arvind K Singh : उत्तर प्रदेश के इतिहास में पंडित गोविंद बल्लभ पंत से लेकर मायावती तक तमाम मुख्यमंत्री रहे। लेकिन अखिलेश यादव को जैसा ऐतिहासिक मौका मिला था वैसा किसी और को नहीं। कुछ महीनों पांचतारा रथ यात्रा में प्रदेश देखा और थाली में उनको राज्य की सत्ता सौंप दी गयी। लेकिन इस सत्ता से वे जो सामाजिक आर्थिक बदलाव करके दुनिया के प्रशासकों में अपना नाम लिखा सकते थे वह नहीं कर पाए।

प्रसार भारती के संघी अध्यक्ष सूर्य प्रकाश को राज्यसभा टीवी के पत्रकार अरविंद कुमार सिंह ने दिया करारा जवाब

Arvind K Singh : राज्य सभा की भूमिका पर सवाल… प्रसार भारती के अध्यक्ष श्री ए.सूर्य प्रकाश ने दैनिक जागरण में राज्य सभा की भूमिका पर सवाल खड़ा किया है। तथ्यात्मक लेख है। वे संसदीय मामलों के जानकार हैं लेकिन इस लेख में जान बूझ कर तमाम तथ्यों को छिपाया है। विपक्ष को भरोसे में न ले पाना यह सरकार की कमजोरी हो सकती है। लेकिन इस आधार पर किसी सदन को समाप्त करने का विचार अलोकतांत्रिक है। संभव है कि उन्होंने प्रधानमंत्री को खुश करने के लिए ऐसा लिखा हो। लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कभी भी इसकी आलोचना नहीं की है।

बस्सी साहब 21वीं सदी के स्वामिभक्त नौकरशाही के सबसे बेहतरीन नायक हैं!

Arvind K Singh : बस्सी साहब ने वाकई शानदार पारी खेली। अगर सभी प्रशासनिक अधिकारी उनकी तरह हो जायें तो नौकरशाही में धर्मवीर, भूरेलाल या के.एफ.रुस्तमजी जैसों का नाम निशान ही मिट जाएगा। बस्सी साहब ने ऐसी लंबी लकीर खींच दी है कि जिसे पार कर पाना शायद आगे के पुलिस आयुक्तों के लिए बहुत कठिन होगा।

चैनलों के कुछ गेस्ट रंगे सियार जैसे हैं… धन्य हैं आप देव…

Arvind K Singh : चैनलों के कुछ गेस्ट बनाम रंगा सियार…. कुछ चैनलों के कुछ गेस्ट अजीब हैं। वे बड़े लोग हैं। चैनलों पर जाकर भाषण देते हैं। कुछ जगह पैसे मिलते हैं, कुछ जगह मुफ्त में। कुछ जगह सुना है वे खुद पैसे देते है। फिर तुर्रा ये कि उनका चेहरा बिकता है। वे कहीं जाते नहीं है। जमीन से उनको लेना देना नहीं है। वे जो कहते हैं उसका उलटा होने पर भी शरमाते नहीं।