मृणाल पाण्डे की कथाकृति ‘हिमुली हीरामणि कथा’ का लोकार्पण

नई दिल्ली। हिमुली हीरामणि कथा की रचना युवाओं के लिए हुई है यदि इसे हज़ारी प्रसाद द्विवेदी की परंपरा को आगे ले जाने वाली कृति समझा जाता है तो यह मेरे लेखन का सम्मान है। सुप्रसिद्ध कथाकार और पत्रकार मृणाल पाण्डे ने मिरांडा हाऊस में अपनी सद्य प्रकाशित कथा कृति ‘हिमुली हीरामणि कथा’ के लोकार्पण एवं परिचर्चा के अवसर पर कहा कि यह नानी के घर और छठी के दूध के बीच की कथा है। पाण्डे ने परिहास भाव के लगातार विरल होते जाने को चिन्ताजनक बताते हुए कहा कि ऐसे दौर में मैंने बोलियों के बाल्यावस्था के साहित्य को पढ़ा और उस विरल होते परिहास भाव को इस कृति में समेटा है। उन्होंने कहा यह कहानी यथार्थ की कहानी है जिसकी भाषा दादी- नी की कहानियों वाली है।

मृणाल पांडेय को मैंने सार्वजिनक तौर पर संयम खोकर बोलते, लिखते देखा-सुना है!

मृणाल पांडे का बचाव जरूर कीजिए साहब लेकिन…

Vineet Kumar : मृणाल पांडे के बारे में मैं इतना और वो भी कई मौके पर मिले व्यक्तिगत अनुभव से जितना जानता हूं, जरूर कह सकता हूं कि वो खुद अपने लेखन और अभिव्यक्ति के लिए जितनी उदारता की उम्मीद रखती हैं, सामनेवालों के लिए उतनी ही अनुदार, जकडबंदी की शिकार और अलोकतांत्रिक भी है. वो वक्त- बेवक्त अपनी प्रांजल हिन्दी और ठसकदार अंग्रेजी के बूते न केवल उनका उपहास उड़ाती रहीं हैं बल्कि आहत करने से लेकर सत्ता का इस्तेमाल करते हुए दंडित भी करती रहीं हैं.

तत्कालीन पीएम नेहरु को उस समय के मशहूर कार्टूनिस्ट शंकर ने गधा बनाकर दिखाया था!

Jaishankar Gupta : मृणाल पांडेय कभी हमारा आदर्श नहीं रहीं। हिन्दुस्तान के संपादक के रूप में एक सहकर्मी के तोर पर हमारे सामने उनका क्षेत्रवादी-जातिवादी चेहरा ही नजर आया। लेकिन जिस बात को लेकर उनकी आलोचना के स्वर तेज और तीखे हो रहे हैं, उनका हम समर्थन नहीं कर कर सकते। लोकतंत्र में इतनी आलोचना बर्दाश्त करने की क्षमता तो होनी ही चाहिए।

भड़ास4मीडिया पर पहला मुकदमा मृणाल पांडेय के सौजन्य से एचटी मीडिया ने किया था

बेकार बैठीं मृणाल पांडेय को मिल गया चर्चा में रहने का नुस्खा!

Yashwant Singh : मृणाल पांडेय ने जो लिखा कहा, उस पर बहुत लोग लिख कह रहे हैं. कोई पक्ष में कोई विपक्ष में. आजकल का जो राजनीतिक विमर्श है, उसमें अतिवादी टाइप लोग ही पूरा तवज्जो पा रहे हैं, महफिल लूट रहे हैं. सो इस बार मृणाल पांडेय ही सही. मेरा निजी अनुभव मृणाल को लेकर ठीक नहीं. तब भड़ास4मीडिया की शुरुआत हुई थी. पहला पोर्टल या मंच या ठिकाना था जो मेनस्ट्रीम मीडिया के बड़े-बड़े मठाधीश संपादकों को चैलेंज कर रहा था, उनकी हरकतों को उजागर कर रहा था, उनकी करनी को रिपोर्ट कर रहा था.

मृणाल के ट्वीट में ऐसा कुछ नहीं जिससे हमें या आपको शर्मिंदा होना पड़े!

Sandeep Maurya : मृणाल पांडेय द्वारा किए गए ट्वीट में ऐसा कुछ नहीं था जिससे हमें या आपको शर्मिंदा होना पड़े। एक प्रधानमंत्री जो गालीबाज़ों, रेप की धमकी देने वालों, गुंडों और मवालियों को ट्विटर पर फॉलो करे। देश दुनिया की मीडिया द्वारा ख़बर करने के बावजूद, आलोचना के बाद भी उन्हें अनफॉलो न करे, उसके प्रति मृणाल पांडे के इस नज़रिए से मुझे कोई आपत्ति नहीं।

मृणाल जी को असहमति से सख्त एतराज है : विपेन्द्र कुमार

मृणाल जी को असहमति से सख्त एतराज है… एक पुराना वाकया बताता हं….उन दिनों मृणाल जी हिंदुस्तान की संपादक (विचार) थीं और मैं हिंदुस्तान के पटना संस्करण में मुख्य उपसंपादक. एक दिन संपादकीय पेज देखने वाली कनीय सहयोगी एक पत्र लेकर आई और पूछी कि इसे लोकवाणी (संपादक के नाम पत्र) में छाप सकते हैं? मैंने पत्र को पढा. पत्र में मृणाल जी के एक लेख में कही बातों की आलोचना की गई थी.

अजित अंजुम ने असहमति जताई तो मृणाल पांडे ने ब्लॉक कर दिया!

Ajit Anjum :  मृणाल जी, आपने ये क्या कर दिया? कल पीएम मोदी का जन्मदिन था. देश-दुनिया में उनके समर्थक / चाहने वाले / नेता / कार्यकर्ता / जनता / मंत्री / सासंद / विधायक जश्न मना रहे थे. उन्हें अपने-अपने ढंग से शुभकामनाएँ दे रहे थे. ये उन सबका हक़ है जो पीएम मोदी को मानते-चाहते हैं. ट्वीटर पर जन्मदिन की बधाई मैंने भी दी. ममता बनर्जी और राहुल गांधी से लेकर तमाम विरोधी नेताओं ने भी दी. आप न देना चाहें तो न दें, ये आपका हक़ है. भारत का संविधान आपको पीएम का जन्मदिन मनाने या शुभकामनाएँ देने के लिए बाध्य नहीं करता.

मृणाल पांडेय का वो ट्वीट जिस पर बवाल मचा है.

दगे हुए सांड़ों की दिलचस्प दास्तान : शशि शेखर महोदय के लेखों में थरथराहट काफी होती है…

अनेहस शाश्वत आज यशवंत सिंह के इस भड़ास बक्से में आप सबके लिए कुछ हास्य का आइटम पेश करूंगा। पेशेवर पत्रकारिता को जब एक तरह से तिलांजलि दी थी तो सोचा था कि इस बाबत कभी कुछ लिखूं पढ़ूंगा नहीं, और न ही इस बाबत किसी से कुछ शिकायत करूंगा। क्योंकि इस पेशे में आने …