स्वतंत्रता दिवस नजदीक आ गया है और इसी के साथ समाचार पत्रों के मार्केटिंग विभाग में देशभक्ति का जज़्बा भी जाग उठा है। वे अब दिन रात अपने क्लाइंट्स को देशभक्ति का मतलब समझाने मे जुटे हुए है, जुटे भी क्यों ना?
Tag: Day
Carried live coverage of all major Yoga Day functions : RSTV
New Delhi : Rajya Sabha TV termed baseless a social media campaign that it blacked out International Yoga Day celebrations.
दलित एजेंडाः2050 की बात करें तो आने वाले 35 साल घनघोर असंतोष के – दिलीप मंडल
देश की राजधानी दिल्ली से प्रकाशित मासिक पत्रिका “दलित दस्तक” का चौथा स्थापना दिवस समारोह 14 जून को वैशाली, गाजियाबाद में मनाया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायधीश जस्टिस खेमकरण और मुख्य वक्ता इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विवि, अमरकंटर, मप्र के कुलपति प्रो. टी.वी कट्टीमनी थे. जबकि विशिष्ट अतिथि बौद्ध चिंतक एवं साहित्यकार आनंद श्रीकृष्णा, प्रखर समाजशास्त्री एवं जेएनयू के प्रो. विवेक कुमार एवं वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल थे. कार्यक्रम की अध्यक्षता जे.सी आदर्श ने की.
विश्व तम्बाकू निषेध दिवस आज : ऐसे पदार्थ तो विष से भी बदतर
तम्बाकू और इससे जनित पदार्थ इंसान के लिए विष से भी बदतर हैं ,पर न जाने क्यों इंसान इसको छोड़ने को तैयार नहीं है ? और फिर हमारी सरकार इस के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक क्यों नहीं लगाती है। साथ ही इसके उत्पादन को बढ़ावा क्यों देती है ?
जिस दिन इस दुनिया में आया था, उसी दिन हादसे में चल बसा भास्कर कर्मी
दैनिक भास्कर के जालंधर कार्यालय में कार्यरत सुरेश ठाकुर की एक सड़क हादसे में मौत हो गई। वह अपनी बहन, पिता और भांजी के साथ होशियारपुर से वापस जालंधर लौट रहा था। माहलपुर के पास पीछे से किसी वाहन ने सुरेश की कार में टक्कर मार दी। कार सामने से आ रही बस से टकरा गई। हादसा ऐसे समय हुआ जब, सुरेश को जन्मदिन पर बधाइयां मिल रही थीं।
ताक पर पत्रकारिता, तकनीकी दौर में रास्ता रेशमी कालीन पर
30 मई हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर विशेष : साल 1826, माह मई की 30 तारीख को ‘उदंत मार्तंड’ समाचार पत्र के प्रकाशन के साथ हिन्दी पत्रकारिता का श्रीगणेश हुआ था. पराधीन भारत को स्वराज्य दिलाने की गुरुत्तर जवाबदारी तब पत्रकारिता के कांधे पर थी. कहना न होगा कि हिन्दी पत्रकारिता ने न केवल अपनी जवाबदारी पूरी निष्ठा के साथ पूर्ण किया, अपितु भविष्य की हिन्दी पत्रकारिता के लिये एक नयी दुनिया रचने का कार्य किया. स्वाधीन भारत में लोकतंत्र की गरिमा को बनाये रखने तथा सर्तक करने की जवाबदारी हिन्दी पत्रकारिता के कांधे पर थी.
मई में मौसम ही नहीं, मीडिया का इतिहास भी तपता है
मई का मौसम ही नहीं, इतिहास भी तपता रहा है। मानो ये जमाने से सुलगता आ रहा है। इसके चार अध्याय-विशेष, जिनमें दो पत्रकारिता के। एक है आज तीन मई को ‘अंतरराष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस। इसी महीने की 30 तारीख को हिंदी पत्रकारिता दिवस रहता है। बाकी दो में एक मई दिवस और 10 तारीख को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम दिवस। 1 मई 1886 को अमेरिका में काम के घंटे घटाने की मांग करते मजदूरों पर गोलीबारी के दुखद दिन को मई दिवस के रूप में याद किया जाता है।
यकूम मई : उम्मीद के मजदूर
एक मई की तारीख कितने लोगों को याद है? बस, उन चंद लोगों के स्मरण में एक मई शेष रह गया है जो आज भी इस उम्मीद में जी रहे हैं कि एक दिन तो हमारा भी आएगा. वे यह भी जानते हैं कि वह दिन कभी नहीं आएगा लेकिन उम्मीद का क्या करें?