सुख-दुख
जाने वाले हो सके तो लौट के आना... बड़े ग़ौर से सुन रहा था ज़माना तुमको, तुम्ही सो गए दास्तां कहते-कहते...ये शब्द मेरे पिता...
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जाने वाले हो सके तो लौट के आना... बड़े ग़ौर से सुन रहा था ज़माना तुमको, तुम्ही सो गए दास्तां कहते-कहते...ये शब्द मेरे पिता...
बड़ी ही मजेदार थी दिनेश ग्रोवर की जिन्दादिली… बहुत साल पहले की बात है। वयोवृद्ध पत्रकार एवं कवि-लेखक इब्बार रब्बी राजेन्द्र यादव की साहित्यिक...
एक दुर्भाग्यपूर्ण संयोग या दुर्योग, जो कहिए... मेरे ज्यादातर प्रिय पत्रकारों का समुदाय धीरे-धीरे सिकुड़ता छोटा होता जा रहा है... दो-तीन साल के भीतर...
मैं बनवारी जी से मिलने साढ़े चार सौ किमी की यात्रा तय कर दिल्ली आ गया वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ शुक्ल जब से विजुअल मीडिया...
खुरदरी चट्टान से जीवन पर / आशा के बादल बरसे जरूर हैं। पर नहीं उगा सके / सुख की एक हरी कोपल भी। और......
Om Thanvi : परसों की ही बात है। आइआइसी मेन के लाउंज में सुपरवाइजर की मेज के गिर्द हम दोनों अगल-बगल आ खड़े हुए...
Vinod Bhardwaj : पंकज सिंह से मेरा पुराना परिचय था. 1968 से उन्हें जानता था. आरम्भ लघु पत्रिका की वजह से. 1980 में जब...
''कृष्णजी, मैं दिल्ली आ गया हूँ....'' 17 दिसम्बर को Pankaj Singh का दूरभाष आया. वे अपने मुल्क़ मुज़फ़्फ़रपुर से आये थे जहां उन्हें कविता...
किसी व्यक्ति के नहीं रहने पर आमतौर पर महसूस किया जाता है कि वो होते तो यह होता, वो होते तो यह नहीं होता...
हमारे सहकर्मी, हमारे स्वजन अमर उजाला हल्द्वानी के संपादक सुनील साह नहीं रहे. राजीव लोचन साह, हमारे राजीव दाज्यू के फेसबुक वाल पर अभी-अभी...
Shambhunath Shukla : 1983 में जब दिल्ली आया तो शुरू-शुरू में राजघाट के गेस्ट हाउस में रहा करता था। जनसत्ता के संपादक दिवंगत प्रभाष...
(स्व. विनोद मेहता जी) Sumant Bhattacharya : विनोद मेहता की रुखसती का मतलब... मैं शायद उन चंद किस्मत वाले पत्रकारों में हूं, जिनका साक्षात्कार...
Sushant Jha : विनोद मेहता से सिर्फ एक बार मिला, वो भी संयोग से। सन् 2004 में IIMC में एडमिशन लेना था, प्रवेश परीक्षा...
: ( मीडिया की मंडी में हम-4 ) : यह 1989-90 की राजनीतिक उठापटक का दौर था. दिल्ली में वीपी सिंह प्रधानमंत्री बन गए...
प्रातः स्मरणीय भाई साहब अतुल माहेश्वरी की आज चौथी पुण्य तिथि है। हां हम 'उन्हें भाई' साहब नाम से ही पुकारते रहे हैं। अमर...
Dear Yashwant ji, Still my hands are trembling , am shaken and eyes full of tears. Do not know how am I even writing...