वरिष्ठ पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा ने सीएम त्रिवेंद्र रावत को लिखी एक मजेदार चिट्ठी, आप भी पढ़ें
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दिल्ली को गरियाने वाले राजीव नयन बहुगुणा जब राजधानी आए यशवंत से मिलने तो लिफ्ट में फंस गए, पढ़िए एक अर्धसत्य!
Yashwant Singh : वे दिल्ली को जब तब गाली देते रहते हैं। कंक्रीट, पोल्यूशन, असभ्यता, संवेदनहीनता, व्यभिचार, लूट, शोषण, बर्बरता आदि के आरोप फेसबुक पर लिख लिख के दिल्ली और दिल्ली वालों को निकृष्टतम साबित करते रहते हैं।
घुमक्कड़ पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा ने भड़ास के मंच से क्या कह डाला, देखें वीडियो
हम चमकेंगे मेहराबों पर , मीनारों पर… विकट पत्रकार यशवंत सिंह ने भड़ास महोत्सव आयोजित कर मुझे स्वयं की ईर्ष्या का पात्र बना लिया। दलितों के समुद्धारक बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर जानबूझ कर सूटेड बूटेड रहते थे, ताकि वह अपने समाज को दारिद्र्य की कुंठा से निकाल सकें। इसी तरह यशवंत ने यह आयोजन …
पत्रकारिता में ‘सुपारी किलर’ और ‘शार्प शूटर’ घुस आए हैं, इनकी रोकथाम न हुई तो सबके चश्मे टूटेंगे!
Rajiv Nayan Bahuguna : दिल्ली प्रेस क्लब ऑफ इंडिया परिसर में एक उद्दाम पत्रकार यशवंत सिंह को दो “पत्रकारों” द्वारा पीटा जाना कर्नाटक में पत्रकार मेध से कम चिंताजनक और भयावह नहीं है। दरअसल जब से पत्रकारिता में लिखने, पढ़ने और गुनने की अनिवार्यता समाप्त हुई है, तबसे तरह तरह के सुपारी किलर और शार्प शूटर इस पेशे में घुस आए हैं। वह न सिर्फ अपने कम्प्यूटर, मोबाइल और कैमरे से अपने शिकार को निशाना बनाते हैं, बल्कि हाथ, लात, चाकू और तमंचे का भी बेहिचक इस्तेमाल करते हैं।
संघी वर्तमान को भी तोड़-मरोड़ देते हैं! (संदर्भ : गौरी लंकेश को ईसाई बताना और दफनाए जाने का जिक्र करना )
Rajiv Nayan Bahuguna : इतिहास तो छोड़िए, जिस निर्लज्जता और मूर्खता के साथ संघी वर्तमान को भी तोड़ मरोड़ देते हैं, वह हतप्रभ कर देता है। विदित हो कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ इलाकों में गंगा को गंगे, गीता को गीते, नेता को नेते और पत्रिका को पत्रिके कहा-लिखा जाता है। तदनुसार गौरी लंकेश की पत्रिका का नाम है- लंकेश पत्रिके। इसे मरोड़ कर वह बेशर्म कह रहे हैं कि उसका नाम गौरी लंकेश पेट्रिक है। वह ईसाई थी और उसे दफनाया गया। बता दूं कि दक्षिण के कई हिन्दू समुदायों में दाह की बजाय भू-समाधि दी जाती है। मसलन आद्य शंकराचार्य के माता पिता की भू-समाधि का प्रकरण अधिसंख्य जानते हैं।
केजरीवाल महोदय को ये एक श्रेय तो जरूर जाता है….
Rajiv Nayan Bahuguna : अरविन्द केजरीवाल को एक श्रेय तो जाता है कि उसने धुर विरोधी कांग्रेस और भाजपा को कम से कम एक मुद्दे पर एकजुट कर दिया। एक दूसरे से फुर्सत पाते ही वे दोनों केजरीवाल पर टूट पड़ते हैं। क्यों? उदाहरण से समझाता हूं।
हरीश रावत ने उत्तराखंड के सात पत्रकारों को उल्लू बनाया!
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत पक्के वाले नेता है. कुछ कुछ ओवर स्मार्ट नेता हैं. काफी समय से इन्होंने कई पत्रकारों को सूचना आयुक्त बनाने का लालीपाप दे रखा था लेकिन बना किसी को नहीं रहे थे. राजीव नयन बहुगुणा तो खुद को नया सूचना आयुक्त अब बना तब बना मान कर चल रहे थे और लोगों से बधाइयां आदि भी ले रहे थे. पर हरीश रावत इतनी आसानी से किसी को कुछ देते कहां.
‘नैनीताल समाचार’ और राजीव लोचन साह के बिना उत्तराखंड की जागरूक पत्रकारिता की कल्पना नहीं की जा सकती
क्षेत्रीय पत्रकारिता का प्रतिमान ‘नैनीताल समाचार’
चार-पांच दिन से मैं भाई साहब की बरसी की वजह से गाँव में था. परसों पंकज बिष्ट जी का हैरानी भरा फोन आया कि क्या ‘नैनीताल समाचार’ बंद हो रहा है? मैं खुद भी इस खबर को सुन कर हैरान हुआ. नैनीताल लौटकर फेसबुक टटोला तो काफी बाद में महेश जोशी की खबर के साथ एक बहुत अशिष्ट भाषा में लिखी पोस्ट पर नजर पड़ी. मुझे लगता है, यह पोस्ट एकदम व्यक्तिगत दुराग्रहों के आधार पर लिखी गयी है, ठीक ही हुआ कि इसे व्यापक प्रचार नहीं मिला. जहाँ तक ‘नैनीताल समाचार’ और राजीव लोचन साह का प्रश्न है, आज के दिन इन दोनों के बिना नैनीताल ही नहीं, उत्तराखंड की जागरूक पत्रकारिता की कल्पना नहीं की जा सकती.
‘नैनीताल समाचार’ बंद होने की आहट से अब नये सिरे से घर से बेदखली का अहसास हो रहा है
पलाश विश्वास
मुझे बहुत चिंता हो रही है नैनीताल और ‘नैनीताल समाचार’ को लेकर। इससे पहले राजीव नयन बहुगुणा ने ‘नैनीताल समाचार’ बंद होने की आहट लिखकर चेतावनी के साथ इसे बचाने की अपील भी की है। अब डीएसबी कालेज में हिंदी विभाग के अद्यक्ष रहे प्रख्यात साहित्यकार बटरोही जी ने फिर ‘नैनीताल समाचार’ पर लिखा है। ‘नैनीताल समाचार’ न होता तो अंग्रेजी माध्यम से बीए पास करने वाला मैं अंग्रेजी साहित्य से एमए करते हुए हिंदी पत्रकारिता से इस तरह गुंथ न जाता।
उत्तराखंड का चर्चित और सरोकारी अखबार ‘नैनीताल समाचार’ बंद होगा
Rajiv Nayan Bahuguna : ‘नैनीताल समाचार’ के बंद होने की आहट सुन रहा हूँ. चार दशक से यह अखबार उत्तराखंड के किसी ढोली या पुरोहित की तरह हर सुख दुःख में नौबत और घंटी बजाता रहा है. मैं लगभग पहले अंक से ही इसका पाठक और यदा कदा लेखक भी रहा हूँ. कयी बनिये और लाले अखबार, मैगज़ीन, चैनल आदि घाटा उठाकर भी चलाते रहे हैं, चलाते रहेंगे. क्योंकि उसके जरिये वह अपने कई टेढ़े हुए उल्लुओं को सीधा करते हैं.
रामदेव की दवाएं और सामान न खरीदने के लिए तर्क दे रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा
Rajiv Nayan Bahuguna : क्यों न खाएं रामदेव की दवा… मैं कोई रसायन शास्त्री अथवा कीमियागर नहीं हूँ, अतः अपने सामान्य बुद्धि विवेक का प्रयोग कर मित्रों को सलाह देता हूँ कि रामदेव के किसी भी उत्पाद का इस्तेमाल न करें, अपितु बहिष्कार करें।
एक बार कमला पति त्रिपाठी के कहने पर हेमवती नंदन बहुगुणा भांग खा कर चित भी हुए थे
Rajiv Nayan Bahuguna : दरअसल इंदिरा गांधी और हेमवती नन्दन बहुगुणा में सन्देह के अंकुर 10 साल पहले ही पनप चुके थे, जिन्हें उनके उद्दंड, दबंग और अशिष्ट पुत्र संजय गांघी ने बाद में खाद पानी दिया। 1971 में कांग्रेस की शानदार जीत के उपरान्त बहुगुणा को उम्मीद थी कि पार्टी विभाजन और फिर राष्ट्र पति के विकट चुनाव में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका के चलते इंदिरा गांधी उन्हें केंद्र में ताक़तवर मंत्री बनाएंगी। लेकिन उन्हें मात्र संचार राज्य मंत्री बनाया गया, वह भी अधीनस्थ। क्योंकि वह पहली बार सांसद बने थे। इससे रूठ कर बहुगुणा कोप भवन में चले गए और 15 दिन तक चार्ज नहीं लिया। हार कर और कुढ़ कर इंदिरा गांधी ने उन्हें मंत्रालय का स्वतन्त्र चार्ज तो दे दिया पर मन में गाँठ पड़ गयी। इधर बहुगुणा भी अपनी बड़ी भूमिका की तलाश में थे, जो नियति ने उन्हें प्रदान कर दी।
वरिष्ठ पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा होंगे उत्तराखंड के नए सूचना आयुक्त
बड़ी खबर उत्तराखंड से आ रही है. वरिष्ठ, फक्कड़ और बेबाक पत्रकार राजीव नयन बहुगुणा उत्तराखंड के नए सूचना आयुक्त होंगे. वे विनोद नौटियाल की जगह लेंगे. राजीव नयन बहुगुणा कई अखबारों और चैनलों में वरिष्ठ पदों पर काम कर चुके हैं. वे जाने-माने पर्यावरविद सुंदरलाल बहुगुणा के सुपुत्र हैं. घुमक्कड़ और फक्कड़ स्वभाव के राजीव नयन बहुगुणा अपने बेबाकबयानी के लिए जाने जाते हैं.
अगर कोई खेमा था तो वह राजेंद्र माथुर का था और एसपी उसी के अंदर थे : कमर वहीद नकवी
उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार और रंगकर्मी राजीव नयन बहुगुणा इन दिनों ‘मेरे संपादक – मेरे संतापक’ शीर्षक से एक सीरिज लिख रहे हैं, फेसबुक पर. इसमें अपने करियर के दौरान मिले संपादकों के बारे में अपनी समझ और अनुभव के हिसाब से रोचक तरीके से कथा लेखन कार्य करते हैं. इसी सीरिज के तहत वरिष्ठ पत्रकार कमर वहीद नकवी के बारे में वो आजकल लिख रहे हैं. राजीव ने अपनी ताजा पोस्ट में लिखा कि नकवी सुरेंद्र प्रताप सिंह खेमे के थे. इस बात पर खुद नकवी ने आपत्ति की और विस्तार से राजेंद्र माथुर व एसपी सिंह के बारे में लिखा. साथ ही खेमे को लेकर स्पष्ट किया कि कौन किस खेमे में था, अगर कोई खेमा था तो. राजीव नयन बहुगुणा और कमर वहीद नकवी के रोचक लेखन को आप यहां नीचे पढ़ सकते हैं. नकवी जी ने अपनी बात कई अलग-अलग टिप्पणियों के जरिए रखी है, जिसे एक साथ यहां जोड़कर दिया जा रहा है.
Qamar Waheed Naqvi अंध विश्वासी भी थे… तंत्र तो नहीं, पर मन्त्र पर विश्वास करते थे….
Rajiv Nayan Bahuguna : कमर वहीद नकवी के शुभ नाम से मैं विज्ञ था। लेकिन अखबार की नौकरी में आने के बाद जब भी कोई उनका ज़िक्र करता, तो नकवी – राम कृपाल कहता। इससे मुझे लगा की शायद यह कोई आधुनिक सेकुलर है, जो गुरमीत राम रहीम सिंह टाइप नाम मिक्स करता है। बाद में विदित हुआ की यह सलीम – जावेद या नदीम – श्रवण टाइप जोड़ी है, और नकवी तथा राम कृपाल दोनों भिन्न व्यक्ति हैं। नकवी छींट की शर्ट पहनने वाले, क्षीण काय लेकिन भारी आवाज़ वाले व्यक्ति थे। मुंह में खैनी दाब कर चुप रहने वाले लेकिन अपनी गतिविधियों से एक मुखर व्यक्ति थे। उनसे मिलने के कुछ ही मिनट बाद मैं समझ गया की यह मुसलमान राजेन्द्र माथुर की जाति का है।
Qamar Waheed Naqvi